धूल खा रही है धूल साफ करने वाली 60 लाख रुपये की मशीन
राजनांदगांव । शहर में सफाई के नाम पर जनता के पैसे की सफाई हो रही है। शहर की सड़कों, डिवाइडरों, रोड के किनारे जमी धूल साफ करने के लिए खरीदी गई स्वीपिंग मशीन खुद धूल खाती पड़ी है। नगर निगम द्वारा 2007 में 60 लाख रुपये में खरीदी गई यह मशीन नगर निगम के टांकाघर में कबाड़ हो रही है। उपयोग नहीं होने के कारण उसके पुर्जे जाम हो चुके हैं। सड़ रहे हैं।राजनांदगांव शहर का विकास हो रहा है। क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसी को देखते हुए निगम द्वारा महंगी स्वीपिंग मशीन खरीदी गई थी, परंतु कुछ माह बाद ही यह खराब हो गई। महंगी मरम्मत और मशीन के उपयोग में ज्यादा खर्च आने की वजह से निगम ने मशीन को चलाना ही छोड़ दिया। तबसे यह मशीन टांकाघर में सड़ती पड़ी है।कुछ हिस्सा ही ठीक-ठाककरीब 13 वर्ष से यह मशीन एक ही जगह पर एक ही पोजीशन पर खड़ी-पड़ी है। अब उसका कुछ हिस्सा ही सलामत है। कलपुर्जे और मशीन का भीतरी सिस्टम पूरी तरह खराब हो चुका है। मशीन की वापसी के लिए राज्य शासन को कई बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन बात आगे बढ़ी ही नहीं।
दो माह भी नहीं चली मशीनस्वीपिंग मशीन खरीदने के बाद शहर के भीतरी भाग में उसे प्रयोग के तौर पर चलाया गया था। गुड़ाखू लाइन, मानव मंदिर चौक, दुर्गा चौक, कामठी लाईन, सदर बाजार, भारत माता चौक, हलवाई लाईन जैसी सड़क पर चलाकर देखा गया था। रात नौ बजे के बाद यह गाड़ी अपना काम करती थी। इससे रोड भी चकाचक साफ हो जाती थी, लेकिन यह मशीन दो माह भी नहीं चली।अधिक डीजल के कारण बंद किया गया बिना किसी योजना या उपयोग तय किए बिना यह मशीन खरीदी गई थी। इसका परिचालन ज्यादा महंगा पड़ रहा था। इसमें प्रति घंटे 15 से 20 लीटर डीजल लगा रहा था। इतना खर्च वहन करना निगम के लिए संभव नहीं था। इसलिए भी मशीन चलाना बंद करना पड़ा।स्वीपिंग मशीन की है कई विशेषताएंमशीन के दोनों ओर लगे ब्रूश झाड़ू मिट्टी और बालू हटा देते हैं। जबकि मशीन के अंदर लगा रोलर कचरे को अंदर की तरफ खींच लेता है । स्वीपिंग मशीन से निकलने वाला पानी का फव्वारा धूल और मिट्टी को उड़ने से रोकता है। इस मशीन के जरिए डिवाइडर के आसपास की गंदगी भी आसानी से साफ हो जाती है। चार से पांच टन कचरे का संग्रह मशीन से किया जा सकता है । दोहरे इंजन वाली इस स्वीपिंग मशीन में लगा एक इंजन वाहन का परिचालन करता है और दूसरा स्वीपिंग की आधुनिक तकनीक पर आधारित है।