छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

डुमरघुंचा में 136 परिवार और 300 आबादी, नहीं होने देते पानी की बर्बादी

अंबागढ़ चौकी। छग महाराष्ट्र की सीमा व ब्लाक के अंतिम छोर पर बसा अतिसंवदेनशील गांव डुमरघुंचा। 136 परिवारों के मिटटी से बने केवलू मकान। जलसंग्रहण को लेकर यहां रहने वाले ग्रामीणों की सोच ऐसी है कि उन्होंने कस्बों व शहरों में सर्वसुविधायुक्त भवनों में रहने वालों को काफी पीछे छोड़कर अपने गांव को आदर्श गांव में तब्दील कर दिया है। डुमरघुंचा गांव में हर ग्रामीण ने जलसंग्रहण व गांव का जलस्तर बढ़ाने के लिए अपने अपने घरों में सोख्ता का निर्माण किया है। इनके माध्यम से बारिश ही नहीं, निस्तार का भी एक-एक बूंद पानी वापस जमीन में डाल रहे हैं। नतीजा यह कि पिछले एक वर्ष में गांव का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। इसके अलावा ग्रामीणों को मच्छरों से भी मुक्ति मिल गई है।

रियाज की सोच ने बदली तस्वीरः बीहड़ वन एवं बार्डर पर बसा गांव डुमरघुंचा में एक वर्ष पहले तक पेयजल व निस्तार के लिए जलसंकट का सामना करना पडता था। इस समस्या के निराकरण के लिए गांव के प्रमुख निवासी रियाज खान ने जल संग्रहण की सोची, जिसने न केवल गांव की तस्वीर बदली है, बल्कि डुमरघुंचा संपूर्ण वनांचल में आदर्श गांव बनकर उभरा है। रियाज खान की प्रेरणा व परिश्रम से एकजुट हुए ग्रामीणों ने गांव के हर मकान में सोख्ता बनाया, जिनके माध्यम से पानी जमीन में जा रहा है। पहले यहां 250 से 300 फीट में पानी मिलता था, लेकिन आज 50 से 100 फीट में भरपूर पानी मिल रहा है।

सोख्ता बनाने में 1200 से 1500 रुपये खर्च ग्रामीणों ने बताया कि एक सोख्ता बनाने में 1200 से 1500 रुपये खर्च आता है। यद व्यक्ति स्वयं गड्ढा खोदता है तो मात्र एक हजार रुपये खर्च आता है। दो बाई दो फीट का गढ्ढा किया जाता है, जिसमें छोटे-छोटे पत्थर-गिट्टी आदि डाल दिया जाता है। इसके ऊपर से ढंक दिया जाता है।

सरकार की राह देखना उचित नहीं मुड़पार ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम डुमरघुंचा के सरपंच विष्णुदेव मंडावी, मितानिन कलसिया बाई ने बताया कि सोख्ता बनाने के लिए कोई सरकारी सहायता नहीं ली गई। ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों में स्वयं के पैसे से बनवाए। गांव के प्रदीप दास, भागसिंह मंडावी, सुशीला सलामे, महाशीर नेताम, भुनेश्वरी कोर्राम, शांति कचलामे, स्वरूप बाई, उपसरपंच भीष्मदेव मंडावी ने बताया कि घर-घर सोख्ता बनने के कारण हैंडपंप से तत्काल पानी मिल जाता है और तालाब में गर्मी में भी पानी रहता है। निस्तार पानी की निकासी की समस्या भी खत्म हो गई। रियाज खान का कहना है कि हर काम के लिए सरकार की राह देखना उचित नहीं है। अपने जीवन को खुशहाल बनाने के लिए हमको ही आगे की आवश्यकता है।

गांव में एक भी मलेरिया का मरीज नहीं बीएमओ डा.आरआर ध्रुवे ने बताया कि डुमरघुंचा में पिछले डेढ़ साल में मलेरिया का एक भी मरीज नहीं मिला है। उससे पहले दर्जनों लोग हर वर्ष मिलते थे। चिल्हाटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ लैब टेक्नीशियन ज्योति यादव एवं आइएचओ अल्फा फिल्कस चौहान ने कहा कि कि डेढ़ सालों में मलेरिया का एक भी केस नहीं आना ग्रामीणों के लिए बड़ी उपलब्धि है।

डुमरघुंचा को माडल बनाएंगेः इंद्रशाह छग शासन के संसदीय सचिव व मोहला मानपुर विधायक इंद्रशाह मंडावी ने समाजसेवी रियाज खान व डुमरघुंचा के ग्रामीणों के प्रयास व अनूठी पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि जलसंग्रहण के क्षेत्र में रोल माडल बनना बडी उपलब्धि है। हम डुमरघुंचा को जल संग्रहण ही नहीं, अब हर क्षेत्र में रोल माडल के रूप में प्रस्तुत करेंगे। जनपद पंचायत के सीईओ बीएल देहारी ने भी ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास को प्रेरणादायी कदम बताया।ो

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button