10 दिन में मिले संक्रमितों में 40 प्रतिशत से अधिक 45-59 की उम्र वाले
प्रदेश में कोरोना की मौजूदा बड़ी लहर के दौरान पिछले 10 दिन में 26 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज मिले, जिनमें से 40 फीसदी की उम्र 45-59 साल के बीच है। यह आंकड़ा इसलिए गंभीर है, क्योंकि इसी वर्ग के लोगों को अब तक टीके भी सबसे कम लगे हैं। प्रदेश में 16 जनवरी से अब तक 21 लाख लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं।
इनमें 45 से 59 वर्ष के केवल 10 फीसदी लोग ही हैं। डाक्टरों का मानना है कि जब तक इस उम्र के लोगों का टीकाकरण तेज नहीं होगा, संक्रमण घटने की संभावना भी कम रहेगी। इसीलिए प्रदेश में 45 प्लस वाले 58.67 लाख लोगों को टीके लगाने का टारगेट तय कर दिया गया है।
देश-प्रदेश में 1 मार्च से 45 से 59 वर्ष की उम्र के गंभीर बीमारी वाले लोगों को टीके लगने शुरू हुए हैं। अब 1 अप्रैल से इस उम्र के सभी लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं। यही कारण है कि इस उम्र के लोग कम टीके लगा पाए हैं।
1 से 31 मार्च तक डायबिटीज (शुगर), हाइपरटेंशन, किडनी, लीवर, ल्यूकेमिया, एचआईवी, बोन मेरो फेलियर, हार्ट फेलियर, कैंसर समेत 20 गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को टीके लगाए गए। कुल 21 लाख टीके का 10 फीसदी 3 लाख होता है। आने वाले दिनों में टीके लगाने वालों की संख्या बढ़ेगी, तब लक्ष्य 58.67 लोगों को इसमें कवर किया जा सकेगा।
हालांकि इसमें काफी समय लगने की संभावना है। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें दो से ढाई माह से अधिक का समय लग सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 45 से 59 वर्ष के लोग इसलिए ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर कामकाजी होते हैं। वे ज्यादातर घर से बाहर रहते हैं। संक्रमण में ऐसे लोगों की संख्या 40 फीसदी से ज्यादा है। इसलिए इन्हें टीके लगाकर कोरोना के संक्रमण को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
दूसरी डोज तभी कारगर
टीके तभी कारगर होंगे, जब इसकी दूसरी डोज लग जाए। दूसरी डोज लगने के बाद ही एंटीबाडी बननी शुरू होती है। तब मनुष्य का शरीर कोरोना से लड़ने में सक्षम हो सकता है। सीनियर गेस्ट्रो सर्जन डॉ. देवेंद्र नायक व सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन के अनुसार शुरुआती दिनों की तुलना में अब टीके लगाने वालों की संख्या बढ़ी है। यह अच्छा संकेत है। लोगों को आगे आकर टीके लगवाने चाहिए।