स्वैच्छिक सहायता को अफसरों ने साफ्टवेयर में कर दिया अनिवार्य
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए लोग मुख्यमंत्री सहायता कोष में दान कर रहे हैं। राज्य के आइएएस और राजपत्रित अधिकारी समेत कुछ और संगठनों ने कोष में अपना एक दिन का वेतन देने की घोषणा की है। इसे देखते हुए वित्त विभाग ने शासकीय कर्मियों का एक दिन का वेतन काटकर कोष में जमा करने का निर्देश दिया है।
आदेश में स्वेच्छा शब्द का उपयोग किया गया है। यानी जो अधिकारी-कर्मचरी अपनी मर्जी से देना चाहते हैं उनके ही वेतन में कटौती की जाएगी। इसके विपरीत अफसरों ने साफ्टवेयर में इसे अनिवार्य कर दिया है। इसकी वजह से हर कर्मचारी का एक दिन का वेतन कट रहा है। इसका कुछ कर्मचारी संगठन विरोध भी कर रहे हैं।
कर्मचारी नेताओं ने बताया कि साफ्टवेयर में एक दिन का वेतन कटौती अनिवार्य कर दिए जाने का असर यह हो रहा है कि बिना कटौती किए किसी का वेतन नहीं बनेगा। ऐसे में जो अपना वेतन नहीं कटवाना चाहता, उसका भी वेतन कट जाएगा।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कोषालय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष डा.जितेंद्र सिंह ठाकुर व प्रांतीय महामंत्री दीपक देवांगन ने कहा कि कोष के लिए दान स्वैच्छिक रखा गया है, लेकिन सभी कर्मचारियों का वेतन काटा जा रहा है। इसका संघ विरोध करता है।
भाजपा ने जताई आपत्ति
साफ्टवेयर में हुई इस गड़बड़ी को लेकर भाजपा ने आपत्ति की है। पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार में न्याय तो नहीं जनता के साथ-साथ अधिकारी-कर्मचारियों के साथ भी अब अन्याय हो रहा है। वित्त विभाग के अंशदान के लिए स्वैच्छिक आदेश था, लेकिन साफ्टवेयर में कटौती अनिवार्य कर दिया गया है। अधिकारी-कर्मचारी अपने वेतन के लिए परेशान हो रहे हैं।