मन में सेवा भाव की ललक है, इसलिए कर रहे अंतिम संस्कार
रायपुर। कोरोना संक्रमण की लहर ने न जाने कितने लोगों के सिर से मां-बाप का साया, तो कहीं बुढ़ापे का सहारा बनने वाले बेटे को निगल लिया। राजधानी में कोरोना का कहर लगातार जारी है। कोरोना से मरने वालों का उनके परिजन भी हाथ लगाने से डर रहे हैं। नगर निगम के अंतर्गत बनाए गए श्मशान घाटों पर शव जलाने के लिए जगह नहीं है। श्मशान घाट पर सुबह नौ बजे से ही शव जलाने का सिलसिला शुुरू हो जाता है, जो रात नौ बजे तक चलता है।
ऐसे में श्मशान घाट पर शवों का अंतिम संस्कार करने वाले किसी देवदूत से कम नहीं हैं। शव जलाने के लिए घर वाले मना करते हैं, लेकिन मन में यदि सेवा भाव करने की ललक है तो भला कौन रोक सकता है। ऐसे कोरोना योद्धाओं को शत-शत नमन।
रायपुर नगर निगम के जोन छह के अंतर्गत आने वाले गोकुल नगर श्मशान घाट पर कोरोना काल में अपनी सेवा दे रहे योगेश तिवारी ने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले गोकुल नगर श्मशान घाट पर एक दिन में करीब 13 शव अंतिम संस्कार के लिए आते थे। श्मशान घाट पर पैर रखने की जगह नहीं होती थी, लेकिन कुछ दिनों से हालात में सुधार आया है और अब आठ शव आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि श्मशान घाट पर जहां मृतक के परिजन पैर रखने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। वहां पर शव का अंतिम संस्कार करना खतरे से कम नहीं है, लेकिन मन में सेवा भाव है इसलिए कर रहे हैं। अंतिम संस्कार के दौरान सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है। श्मशान घाट पर रहने के बाद पता चलता है कि जो लोग पैसे के लिए हाय-हाय कर रहे हैं, भ्रष्टाचार कर रहे हैं, चोरी कर रहे हैं, लोगों का पैर खींच रहे हैं, लेकिन अंत में यहीं आना है और अंतिम सत्य यही है।
पीपीई किट पहनकर करते हैं अंतिम संस्कार
विक्की बंजार ने बताया कि शव को अंतिम संस्कार करने के दौरान पीपीई किट पहने रहते हैं। जिस समय लोग कोरोना नाम सुनकर लोगों से दूरी बना रहे हैं। उस समय हम लोग शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। घर वाले मना करते हैं, लेकिन जब कदम आगे बढ़ा दिया है, तो पीछे नहीं लौटना है। घर जाकर वह कपड़े को गर्म पानी में डाल देते हैं और गर्म पानी से ही नहाते हैं। सेवा भाव कर रहे हैं अब अच्छा लगने लगा है।
एक सप्ताह तक नहीं आए लाइट लगाने
योगेश तिवारी ने बताया कि श्मशान घाट पर लाइट खराब हो गई थी। लाइट के लिए एक सप्ताह तक परेशान हुए, लाइट बनाने के लिए कई लोगों से बात हुई लेकिन श्मशान घाट पर कोरोना से मरने वालों का शव का अंतिम संस्कार हो रहा है। यह सुनकर कोई नहीं आता था। किसी तरह एक परिचित के लोग थे तो उन्होंने आकर लाइट सुधारने का काम किया।