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कोरोना से ठीक होने के बाद कितने साल तक रहती है इम्‍यूनिटी, बता रहे हैं विशेषज्ञ

ई दिल्‍ली. कोरोना से लड़ी जा रही इस जंग में वैक्‍सीन (Vaccine) काफी कारगर साबित हो रही है. वहीं कोरोना और वैक्‍सीन को लेकर की जा रहीं नई-नई रिसर्च भी अब सामने आ रही हैं. हाल ही में आई एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज की इम्‍यूनिटी (Immunity) करीब एक साल तक मजबूत बनी रहती है जिसकी वजह से उसे दोबारा कोविड (Covid-19) का खतरा कम होता है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल साइंसेज (ICMR) में ऑपरेशन ग्रुप फॉर कोविड टास्‍क फोर्स के प्रमुख डॉ. एन के अरोड़ा ने बताया कि हाल ही में रॉकफेलर यूनिवर्सिटी और न्‍यूयार्क के वेइल कार्नेल मेडिसिन की टीम ने मिलकर एक रिसर्च की है. कुछ इसी तरह ही रिसर्च भारत में भी की जा रही हैं. रॉकफेलर की रिसर्च बताती है कि कोरोना से उबरने वाले मनुष्‍य के शरीर में एंटीबॉडी (Antibody) पर्याप्‍त मात्रा में बन जाती हैं. जिसके अनुसार उसकी प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत रहती है.

हालांकि इस शोध में यह भी कहा गया है कि ऐसे व्‍यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी लंबी चल सकती है. रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने कोविड से उबर चुके 63 लोगों को इस तरह बांटा कि कोविड होने के एक महीने, तीन महीने, छह महीने और एक साल बाद इन लोगों के शरीर पर क्‍या असर रहा. कोविड होने के साथ ही ठीक होने पर इन्‍होंने वैक्‍सीन भी ली हुई थी. अध्‍ययन में सामने आया कि करीब एक साल तक इनमें इम्‍यूनिटी बेहतर रही. वहीं वैक्‍सीन लेने के बाद इसकी क्षमता और भी ज्‍यादा बढ़ गई.

डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि हालांकि इसका यह मतलब बिल्‍कुल नहीं है कि अगर किसी व्‍यक्ति को कोरोना हो गया है तो वह मजबूत है और उसे दोबारा कोरोना होने के चांसेज कम हैं तो उसका वैक्‍सीनेशन न किया जाए. बल्‍कि वैक्‍सीनेशन की बात करें तो अगर कोरोना से उबरे व्‍यक्ति को वैक्‍सीन भी लगा दी जाए तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी ज्‍यादा अच्‍छी हो जाती है. जिसकी वजह से उस पर कोरोना के किसी भी वेरिएंट का प्रभाव मुश्किल हो जाता है.
डेल्‍टा सहित अन्‍य वेरिएंट पर भी हो सकती है कारगर

डॉ. अरोड़ा कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद वैक्‍सीन लगवाना ज्‍यादा फायदेमंद हो सकता है. भारत में अभी इस पर रिसर्च चल रहा है लेकिन अनुमान है कि कोरोना से पैदा हुई एंटीबॉडी और फिर वैक्‍सीन से मिली एंटीबॉडी के बाद शरीर पर डेल्‍टा के साथ ही अन्‍य सभी वैरिएंट के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है. संभव है कि किसी भी वेरिएंट का खतरा गंभीर न रहे.

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