अब हिंदी भाषा में भी कर सकेंगे बीई और डिप्लोमा की पढ़ाई, अनुवाद शुरू
अंग्रेजी मीडियम में किताबें और नोट्स होने की वजह से बीई और डिप्लोमा के अधिकांश विद्यार्थियों को पढ़ने में दिक्कतें होती थी। इसे देखते हुए अब बीई और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम का हिंदी समेत क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है। साथ ही इसके प्रश्न बैंक बनाए जा रहे हैं।
इससे छात्रों को तकनीकी शिक्षा लेने में आसानी होगी। इसके लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने अनुमति प्रदान की है। अनुवाद करने के लिए एक समिति भी बनाई गई है। स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एमके वर्मा इस समिति के चेयरमैन हैं। समिति के सदस्य के रूप में एआईसीटीई के डायरेक्टर फाइनेंस रविंदर सिंह, एमएनआईटी जयपुर के डॉ. दीप सिंह और पीईसी के संजीव सोफट की नियुक्ति की गई है।
पिछले दिनों कोर्स के अनुवाद के लिए अनुवादकों से आवेदन मंगाए गए थे। कोर्स का अनुवाद करने वालों को उचित मानदेय दिया जाएगा। अनुवाद के बाद समिति के अनुमोदन के बाद उसकी छपाई भी कराई जाएगी। इसके बाद एआईसीटीई की अनुमति से छात्रों के लिए उसे जारी किया जाएगा। इससे उम्मीद की जा रही है कि भाषा की वजह से तकनीकी कोर्स की पढ़ाई से दूर रहने की कोशिश करने वाले विद्यार्थियों को आसानी होगी। उन्हें इसका लाभ मिल सकेगा। इसे एआईसीटीई से अनुमोदित संस्थानों में भेजा जाएगा। इसका अनुवाद उसी के अनुसार किया गया है। इन दिनों कोर्स के अनुवाद की प्रक्रिया चल रही है।
अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी होगी इसका अनुवाद
तकनीकी शिक्षा विभाग ने तय किया है कि हिंदी के अलावा भी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कोर्स का अनुवाद किया जाए। इसके आधार पर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यूनिवर्सिटी के अस्तित्व में आने के बाद पहला मौका है, जब क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। छात्रों को इससे कोर्स समझने व पढ़ने में आसानी होगी।