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बलरामपुर : टमाटर की खेती से आ रही है खुशहाली : महिलाओं के परिश्रम से बाड़ी में अच्छी पैदावार

छत्तीसगढ़ी में बारी शब्द सुनते ही आंखों के सामने घर से लगा साग-सब्जी का छोटा सा बगीचा नजर आता है। बारी छत्तीसगढ़ की ग्रामीण जनजीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है, जहां लोग अपने पसंद की साग-सब्जियां उगाते हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने तथा आजीविका से जोड़ने के लिए राज्य शासन द्वारा सुराजी गाँव योजनान्तर्गत बारी को वृहद रूप में पुनर्जीवित करने का सफल प्रयास जारी है। ऐसा ही सफल प्रयास विकासखण्ड राजपुर के ग्राम परसागुड़ी आदर्श गोठान स्थित बारी में साकार होता दिख रहा है। स्थानीय स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बारी में उन्नत कृषि पद्धतियों का प्रयोग कर सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है। महिलाएं टमाटर, भिंडी, लौकी, करेला, पपीता, मशरूम, स्वीटकॉर्न की खेती कर रहीं हैं। टमाटर और मशरूम की अच्छी पैदावार ने महिलाओं के चेहरों में मुस्कान बिखेर दी है। समूह की महिलाएं अब तक 10 हजार 400 रूपये के टमाटर तथा 13 हजार 200 रूपये के मशरूम विक्रय कर चुकी हैं। प्रशासन के प्रारंभिक सहयोग और महिलाओं की इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि बारी में सब्जियों की अच्छी पैदावार हो रही है। टमाटर की खेती से जुड़ी तारा महिला समूह की अध्यक्ष श्रीमती दशमेत बताती हैं कि हमें सबसे पहले प्रशासन के सहयोग से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। प्रशिक्षण में ड्रिप पद्धति द्वारा सिंचाई तथा इसके फायदे की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। उन्नत् कृषि तकनीक का हमें अच्छा लाभ मिला है जिसका परिणाम सामने है। हमने उन्नत कृषि तकनीकी का प्रयोग कर 520 किलोग्राम टमाटर का उत्पादन किया। जिसका विक्रय कर हमें 10 हजार 400 रूपये का लाभ प्राप्त हुआ। खेतों में हमने गोठान में तैयार खाद का प्रयोग किया जिससे सब्जियों की गुणवत्ता तथा भूमि की उर्वरकता भी बनी हुई है।
इसी प्रकार मशरूम उत्पादन कर रही लक्ष्मी स्व सहायता समूह की श्रीमती लीलावती और श्रीमती फूलमनिया बताती है हमें मशरूम की खेती के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी, लेकिन प्रशासन  द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण एवं सहयोग से हमने इसे प्रारम्भ कर सफलता प्राप्त की है। हमारे द्वारा 66 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन किया गया, जिसे बाजार में विक्रय कर 13 हजार 200 रूपये की आय प्राप्त की। ये एक पड़ाव है, हम आगे भी मशरूम की खेती करेंगे क्योंकि इससे अच्छी आय प्राप्त होती है। बारी विकास के कार्यों में संलग्न समूह की महिलाएं बताती है इससे न केवल अच्छी आय और रोजगार प्राप्त हुआ है बल्कि जीवन स्तर में भी सुधार हो रहा है। उन्नत बारी समावेशी विकास का एक अच्छा उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है। महिलाओं की बढ़ती भागीदारी तथा पारंपरिक व्यवस्थाओं को आजीविका से जोड़ने के शासन दृष्टिकोण से नए बदलाव की बयार आई है।

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