धान की बोनी शुरू, इधर सप्लाई में देरी के चलते सोसाइटियों में बढ़ी खाद की किल्लत
मानसून के दस्तक के बाद खेतों में धान की बोनी शुरू हो गई है। इसके साथ ही वर्तमान में खाद की डिमांड भी तत्काल है। लेकिन समस्या ऐसी है कि किसानों को समय पर खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। सोसाइटियों में समय पर खाद नहीं पहुंचने के पीछे दो वजह सामने आई है। पहले तो राज्य स्तर से खाद गोदाम में समय पर आपूर्ति नहीं की जा सकी। जबकि गोदाम में डंप खाद का वितरण सोसाइटियों में पहले ही हो चुका है। अब सोसाइटियों में खाद खत्म हो जाने के बाद मारामारी शुरू हो गई है।
वहीं दूसरी वजह यह भी है कि गोदाम से सोसाइटियों तक ले जाने में ट्रांसपोर्टिंग की समस्या भी आ रही है। रोजाना एक गाड़ी ही खाद पहुंचा रही है, जबकि डिमांड तीन गाड़ियों की है। ऐसे में दोनों समस्या के चलते बीच में किसान पिस रहे हैं। बोनी शुरू होने के बाद खेती-किसानी का काम छोड़कर खाद लेने के लिए रोजाना सोसाइटी के चक्कर लगा रहे हैं। परंतु स्टॉक में खाद नहीं होनेे के चलते प्रबंधक किसानों को खाली हाथ ही लौटा दे रहे हैं। चिद्दो रोड स्थित नवीन खाद गोदाम से ब्लॉक के 13 सोसाइटियों में खाद का वितरण होता है। करीब 10 सोसाइटियों में यूरिया व डीएपी की कमी लगातार बनी हुई है। खाद गोदाम प्रभारी का कहना है कि राज्य स्तर से सप्लाई नहीं होने की वजह से ही सोसाइटियों में खाद नहीं भेजा जा रहा है। इसके अलावा हमाल को लेकर भी परेशानी बनीं हुई है। हमालों को मजदूरी भुगतान की जिम्मेदारी समितियों पर है।
पुनर्गठन के बाद बनी नई सोसाइटियों में खासी परेशानी: राज्य सरकार ने पिछले वर्ष सोसाइटियों का पुनर्गठन किया है। इससे सोसाइटियों की संख्या में इजाफा हुआ है। नई बनी सोसाइटियों में कई तरह की परेशानी सामने आ रही है। कई जगहों पर खाद रखने की दिक्कत तो कई जगह सिस्टम ही अपडेट नहीं हो पाया है। बता दें कि ब्लॉक में 50 प्रतिशत धान की बोनी हो चुकी है। अभी खाद की डिमांड हर गांवों में है, सोसाइटियां आपूर्ति नहीं कर पा रही है।
सप्ताह भर के भीतर समस्या दूर हो जाएगी: खाद गोदाम प्रभारी विनोद साहू ने बताया कि राज्य स्तर से सप्लाई नहीं आने की वजह से यूरिया व डीएपी की कमी बनी हुई है। इसलिए सोसाइटियों को आवंटन करने में परेशानी हो रही है। साथ ही ट्रांसपोर्टिंग व हमाल की समस्या के चलते वितरण प्रभावित हुई है। उम्मीद है कि सप्ताह भर के भीतर सभी तरह की समस्या दूर हो जाएगी।
इन बिंदुओं के चलते किसानों को हो रही परेशानी
राज्य से खाद की सप्लाई में देरीः बोनी शुरू होने से पहले ही डीएपी व यूरिया की किल्लत शुरू हो गई थी। लेकिन मानसून आने के बाद बोनी भी चालू है। ऐसे में अभी खाद की अत्यंत आवश्यकता है। लेकिन राज्य स्तर से सप्लाई में लेटलतीफी होने की वजह से सोसाइटियों तक खाद नहीं पहुंच पा रहा है। किसानों को मजबूरन मार्केट से महंगे दाम पर खाद खरीदना पड़ रहा है। बोनी के बाद किसानों को सोसाइटी से खाद वितरण होगा तब तक किसानों को मार्केट से खरीदकर काम चलाना पड़ेगा।
ट्रांसर्पोटिंग व हमाल को लेकर समस्याः खाद गोदाम से सोसाइटियों तक खाद पहुंचाने को लेकर भी समस्या आ रही है। क्योंकि ट्रांसपोर्टर दिनभर में एक ही गाड़ी चला रहा है। जबकि डिमांड के हिसाब से तीन गाड़ियों की जरूरत है। वहीं हमालों की कमी के चलते भी खाद की डिलीवरी में दिक्कतें आ रही है। बारिश शुरू होने के बाद धान खरीदी केंद्रों से उठाव को लेकर भी खासा दबाव है। वही इसके साथ खाद की डिलीवरी भी प्रभावित हो रही है। हमालों को समिति भुगतान करेगी इसलिए हमालों की कमी हो रही है।
वर्मी कंपोस्ट खरीदने दबाव, जबकि इसकी गुणवत्ता कम
भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक व मार्कफेड के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष शशिकांत द्विवेदी ने प्रदेश सरकार के खाद आवंटन प्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए बताया कि सोसाइटियों से वर्मी कंपोस्ट खरीदने के लिए किसानों पर दबाव बनाया जा रहा है। जबकि वर्मी खाद की गुणवत्ता में कमी है। बिना एक्सपर्ट की मौजूदगी में वर्मी कंपोस्ट तैयार हुई है। जबकि डीएपी व यूरिया की पूर्ति राज्य नहीं कर पा रही है। वर्मी कंपोस्ट खाद को 10 रुपए किलो में दिया जा रहा है। राज्य सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए वर्मी कंपोस्ट को बेचने के लिए दबाव बना रही है। महिला समूहों को मानदेय भी नहीं मिल पा रहा।