दूसरी बीमारियों का इलाज नहीं होने से दवा का स्टॉक जाम, कंपनियां नहीं ले रहीं वापस, हुआ घाटा
कोविड काल में जब पूरे जिले में लॉकडाउन था तब सिर्फ मेडिकल दुकानें ही चालू थीं। इसलिए लोगों को लगा कि कोरोना काल में मेडिकल दुकान संचालकों ने खूब कमाई की पर विडंबना है कि कोरोना ने इस व्यवसाय को भी भारी नुकसान पहुंचाया। जिले में मेडिकल दुकानों के 600 लाइसेंस हैं। इनमें से 560 लाइसेंसधारी ही मेडिकल दुकान संचालित करते हैं पर डेढ़ साल के भीतर 18 से ज्यादा मेडिकल दुकानों के संचालकों ने लाइसेंस सरेंडर कर दिए।
लाइसेंस धारकों ने दुकान बंद करने के अलग-अलग कारण बताए हैं पर ज्यादातर ने कोरोना काल को बड़ी वजह बताई है। कोविड काल में दूसरी बीमारियों का इलाज बंद हो गया था। कोविड की दवाइयां सरकारी तौर पर मरीजों तक पहुंच रहीं थीं।
केवल सर्दी, खांसी, बुखार और कमजोरी की दवाइयों की ही डिमांड थी। कोविड संक्रमित होने पर सरकार की ओर से ही दवाइयां उपलब्ध करा दी थीं। कोविड से संबंधित महंगी दवाइयों को कंपनियां वापस नहीं ले रहीं हैं। मेडिकल दुकान संचालकों को महंगी दवाइयों का स्टॉक रखना भारी पड़ गया।
यह आश्चर्यजनक
जिले के असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर संजय झाड़ेकर ने बताया कि वाकई में कोरोना काल में मेडिकल दुकानों का लाइसेंस सरेंडर होना आश्चर्य जगह है। जनवरी 2020 से एक जुलाई 2021 तक 18 मेडिकल दुकानों के लाइसेंस सरेंडर कर दिए गए।
हालांकि इनमें कुछ प्रोपराइटर की डेथ होने का कारण भी है तो वहीं कुछ का स्टॉक की खपत का नहीं होना भी है। सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने बताया कि कोविड काल में संक्रमित मरीजों को दवाइयों की कमी नहीं होने दी गई।
आप भी जानिए, लाइसेंस सरेंडर होने की यह है प्रमुख वजह
1. कोविड काल में दूसरी गंभीर बीमारियों का इलाज नहीं हो रहा था। ऑपरेशन तक टाल दिए गए। इसलिए मेडिकल दुकानों में स्टॉक में रखे गए उपकरणों की बिक्री नहीं के बराबर हुई। कोरोना काल में दुर्घटना केसेस भी कम आए। बीते साल 2020 मार्च से कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई। संक्रमण के डर से लोग गंभीर बीमारी का इलाज कराने से कतराते रहे।
2. मेडिकल व्यवसायियों ने कोविड से संबंधित महंगे इंजेक्शन सहित अन्य दवाइयों का स्टॉक किया पर कंपनियों ने इन महंगी दवाइयों को वापस लेने से मना कर दिया। मेडिकल व्यवसायी दुरेन्द्र साहू ने बताया कि 50 हजार से ज्यादा की दवाइयां स्टॉक में जाम पड़ी हैं। कंपनियां रिप्लेस नहीं कर रहीं हैं। इसलिए घाटा हो गया।
3. कोविड काल में स्वास्थ्य विभाग की ओर से डोर-टू-डोर सर्वे कर सर्दी, खांसी, बुखार और विटामिन की दवाइयों का वितरण तक किया गया। प्रशासन ने सर्दी तक की दवाइयों को बेचने पर रोक लगा दी थी। निर्देश था कि ऐसी दवाइयां खरीदने पर ग्राहक का नाम, पता और मोबाइल नंबर लिया जाए। वहीं लक्षण पूछने के बाद ही दवाइयां दें।
मानसिक रूप से भी परेशानी हुई है
दवा विक्रेता संघ के जिला अध्यक्ष देवव्रत गौतम का कहना है कि वाकई में कोरोना काल में कई व्यवहारिक दिक्कतें आईं। कुछ मेडिकल व्यवसायियों को नुकसान भी हुआ है। दुकानों का लाइसेंस सरेंडर होने के कई कारण सामने आ रहे हैं। मानसिक रूप से भी परेशानी हुई है।