छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

95 फीसद विद्यार्थी प्रथम श्रेणी, अब विषय चयन को लेकर असमंजस

राजनांदगांव। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार कक्षा 10 वीं के बच्चों ने घर से परीक्षा दी थी। 95 फीसद बच्चे प्रथम श्रेणी से पास हुए थे। अब विद्यार्थी कक्षा 11वीं में संकाय चयन को लेकर असमंजस में पड़ गए हैं। संकाय चयन को लेकर माथा पच्ची करनी पड़ रही है। शहर के अधिकतर हायर सेकेंडरी स्कूलों में गणित, जीव विज्ञान की सीटें भर गई है। इस बार गणित व जीव विज्ञान लेने वाले छात्रों की संख्या अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक है। छात्र गणित और जीवन विज्ञान विषय को अधिक महत्व दे रहे हैं। कई स्कूलों में कला विषय की सीट अब भी खाली गई। कला विषय की सीटें नहीं भर पा रही है। इसके पीछे कई कारण हैं। छात्रों ने बेहतर अंक लाए है। इसलिए वे गणित व जीव विज्ञान को अधिक महत्व दे रहे हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस साल 10 वीं के छात्रों की लिखित परीक्षाएं नहीं हुईं। इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर सभी पास किए गए लेकिन अब इसके कारण 11वीं में दाखिले के लिए बच्चों के साथ साथ स्कूल प्रबंधन को भी माथापच्ची करनी पड़ रही है। इस साल 10 वीं में बिना परीक्षा दिए ही 95 फीसद बच्चे फर्स्ट डिवीजन से पास हुए हैं।

स्कूलों को सीट की कमीः छात्रों के सामने विषय चयन को लेकर बड़ी चुनौती है। स्कूलों में सीटों की कमी के कारण भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अलग-अलग विषयों के संकाय में दाखिले के लिए शिक्षकों को खासी माथापच्ची भी करनी पड़ रही है। जिले के सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रकिया शुरू हो गई है। इस बार कक्षा 10 वीं नियमित छात्र के रूप में 14844 छात्र पंजीकृत थे। अधिकारी सरकारी स्कूलों में गणित व जीव विज्ञान की सीटें भर चुकी है। आर्टस व कामर्स की सीट बची हुई है।

कालेज में होगी समस्याः इसी तरह इस साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा में छात्रों को घर पर ही उत्तर लिखने की छूट दे दी गई थी। परीक्षा का परीक्षा परिणाम अभी आया नहीं है। जल्द ही परीक्षा परिणाम की घोषणा की जाएगी। 12 वीं में भी सभी छात्रों के पास होने की संभावना है। जिससे कालेजों में सीटों की समस्या इस साल देखने को मिल सकती है। 11 वीं में गणित, विज्ञान, वाणिज्य, कृषि, कला विषय की पढ़ाई चयन करने की सुविधा हैं। 10 वीं में जहां 95 फीसद बच्चे प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं, ऐसे में गणित-विज्ञान और कृषि विषयों के लिए वे पात्र भी हैं, लेकिन सीमित सीटें होने के कारण सभी बच्चों को इन विषयों में दाखिल किया जाना संभव नहीं होगा, ऐसे में कुछ छात्रों को सीटों भर जाने के चलते दूसरे विषय लेने पड़ेंगे।

सरकारी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। छात्र अपने मन मुताबिक संकाय ले रहे हैं। सभी बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।

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