8 सीएचसी व सिविल हॉस्पिटल में कंसेन्ट्रेटर के बाद सांस देने वाली मशीनें भी पहुंची
कचांदुर में 650 बिस्तर वाले सबसे बड़े कोविड अस्पताल बनाने के बाद ब्लॉक लेवल के अस्पतालों को भी तीसरी लहर के अनुसार तैयार किया जा रहा है। ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर देने के बाद पाटन, धमधा और निकुम के 30 बेड वाले सभी आठों अस्पताल में एचएफएनसी (हाई फ्रिक्वेंसी नेजल कैनुला), सी-पैप (कान्टीनिवस ऐयर-वे प्रेशर) और वेंटिलेटर लगाया जा रहा है। ऐसे ही इंतजाम सुपेला के 80 बेड वाले लाल बहादुर शास्त्री सिविल अस्पताल में भी किए जा रहे हैं। हर अस्पतालों को वहां की औसत ओपीडी और आईपीडी को देखते हुए क्रिटिकल केयर से जुड़ी सभी मशीनें दी जा रही है। सीएचसी पाटन, झीट, कुम्हारी, धमधा और सुपेला में पहुंचा दी गई है।
1 सी-पैप : कोरोना या किसी अन्य वजह से जिन बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है, उन्हें सी-पैप (कांटीनिवस पॉजीटिव एयर-वे प्रेशर) से सांस दी जाती है। सी-पैप लगाना पड़ता है।
2 एचएफएनसी: एचएफएनसी (हाई फ्रिक्वेंसी नेजल कैनुला) भी जरूरी है। अस्पतालों में सी-पैप या एचएफएनसी, दोनों में से एक का ही इस्तेमाल होता है। दोनों भी रखे जाते हैं।
3 वेंटिलेटर: संक्रमण की वजह जिन बच्चों के फेफड़े बिल्कुल काम नहीं करते, उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत होती है। नहीं तो सी-पैप या एचएफएनसी से मदद हो जाती है।