न्याय के लिए वाहन के सामने आया युवक तो एसपी ने सरेआम जड़ा थप्पड़
आजमगढ़. नाबालिग की मौत के ममाले पुलिस से न्याय मांगना एक युवक को भारी पड़ा। पुलिस कप्तान सुधीर सिंह सिर्फ इसलिए नाराज होकर फरियादी की पिटाई कर दिये क्योंकि उसने एसपी के काफिले को रोककर प्रार्थना पत्र देने की कोशिश की। एसपी ने युवक की पिटाई के बाद उसे घंटों तक कार्यालय में बैठाए रखा। एसपी युवक की पिटाई से इनकार किया है। उन्होंने दावा किया है युवक उनकी गाड़ी के अंदर लेट गया था और कुछ लोगों ने वाहन पर पत्थर फेंकने की कोशिश की।
बता दें कि रौनापार थाना क्षेत्र की रहने वाली एक 10 वर्षीया बच्ची शुक्रवार की सुबह घर से कुछ दूरी पर गन्ने के खेत के पास अर्धनग्न अवस्था में पाई गयी थी। उसका कपड़ा पास के ही खेत में मिला था। परिवार के लोगों ने दुष्कर्म की आशंका जताई थी। परिजन उसे जिला अस्पताल ले कर गए जहां से उसे रेफर कर दिया गया था। इसके बाद उसे जीयनपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बाद में रौनापार थाने की पुलिस ने पीड़ित बच्ची को महिला अस्पताल भेजा था। हालत गंभीर होने पर वहां से उसे मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया था। जहां शनिवार की रात उसकी मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम में निमोनिया से बच्ची की मौत का मामला प्रकाश में आया। वहीं परिवार के लोग पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगा रहे है। उनका आरोप है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ है।
इसी मामले में न्याय की गुहार लगाने के लिए पीड़ित परिवार और कुछ अन्य लोग बुधवार को एसपी कार्यालय पहुंचे थे। उसी दौरान एसपी का काफिला बाहर निकला तो एक युवक एसपी के वाहन के सामने आकर उन्हें रोकने की कोशिश की। फिर क्या था पुलिस अधीक्षक को गुस्सा आ गया और वे वाहन से बाहर निकले तथा युवक को पीटने के बाद घसीटते हुए अपने कार्यालय में ले जाकर बैठा लिया। बाद में उसे घर भेज दिया गया।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह का कहना है रौनापार की कुछ महिलाएं जनसुनवाई में मिली थी। उनके प्रार्थना पत्र पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश किया गया था। जन सुनवाई के बाद जब वे बाहर निकले तो उनका लड़का वाहन के सामने लेट गया और कुछ लोग पत्थर मारने के लिए सामने आ गये। मैं वाहन से उतरकर युवक को अपने साथ आफिस ले गया और कुछ देर बाद समझा बुझाकर छोड़ दिया गया। इसमें कुछ लोग राजनीतिक लाभ लेने के लिए सोशल मीडिया पर ट्वीट कर रहे है लेकिन इसमें सत्यता नहीं है।