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केंद्र सरकार कर रही नीति आयोग के काम की समीक्षा, भूमिका और जिम्मेदारियों का हो सकता है पुनर्गठन

केंद्र सरकार अपने थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) के प्रदर्शन की समीक्षा कर रही है। सरकार यह पता लगाएगी कि क्या एजेंसी अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रही है या नहीं, जिसे छह साल पहले योजना आयोग (Planing Commission) की जगह बनाया गया था।

सूत्रों का कहना है कि यह समीक्षा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के कहने पर की जा रही है। सूत्रों को ऐसा लग रहा है कि एजेंसी घोषित उद्देश्यों के अनुसार काम नहीं कर रहा है और इसकी भूमिका और जिम्मेदारियों को फिर से तय करने की जरूरत है ताकि यह देश में नीतिगत मामलों पर अधिक सक्रिय भूमिका निभा सके।

सूत्रों ने बताया कि नीति इवोल्यूशनरी कमेटी नामक बाहरी विशेषज्ञों की एक टीम पहले से ही इसके कामकाज की समीक्षा कर रही है। इस समिति का नेतृत्व क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई कर रहे हैं, जिसमें बैन कैपिटल के एमडी अमित चंद्रा, अवाना कैपिटल की संस्थापक अंजलि बंसल, पूर्व दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन, ग्लोबल एलायंस फार मास एंटरप्रेन्योरशिप के संस्थापक रवि वेंकटेशन और पर्यावरण सचिव इसके सदस्य हैं।

सूत्रों ने कहा कि एक्सपर्ट पैनल ने नीति आयोग पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसे आगे की कार्रवाई के लिए जल्द पीएमओ को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि पैनल नीति आयोग के लिए एक स्पष्ट जनादेश लेकर आया है, जिसमें कुछ अतिरिक्त कार्यों को जोड़ते हुए एजेंसी को कुछ गतिविधियों से रोकना शामिल है। पैनल यह भी चाहता है कि आयोग विभिन्न मामलों पर राज्यों के साथ जुड़ने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाए।

सूत्रों ने कहा कि सुझाव का मकसद नीति आयोग की क्षमताओं को बढ़ाने का है ताकि राज्यो के साथ व्यापक संवाद आयोजित किया जा सके। नीति आयोग को बाहरी विशेषज्ञों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का भी सुझाव दिया गया है जो विभिन्न सरकारी एजेंसियों के काम आता है। सूत्रों ने कहा कि आयोग की भूमिका और जिम्मेदारियों के संभावित पुनर्गठन पर केवल पीएमओ द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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