छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

छेरछेरा लोक संस्कृति का अलौकिक उत्सवा पर्व – द्विवेदी


राजनांदगांव. अनुपम अनूठी लोक संस्कृति के हमारे प्रदेश छत्तीसगढ़ के अद्वितीय पर्व छेरछेरा के पावन-पुण्यात्म परिप्रेक्ष्य मेें नगर के संस्कृति विचारविज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशिष्ट चिंतन टीप में बताया कि शीत ऋतु के प्रमुख मास पौष की पुन्नी को मनाया जाने वाला अलौकिक उत्सवा अन्नदान का पर्व है जो बड़े ही जोश-खरोस और नव-उत्साह के साथ सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। विशेषकर बाल-किशोर पीढ़ी के द्वारा सहज, सामाजिक समरसता की उल्लेखनीय रचनात्मक मनोभावना के साथ नगर-ग्राम-मोहल्ले के घर-घर जाकर अन्न-साग-सब्जी-मुद्रा को दान में प्राप्त करते हैं तथा सभी बाल-वृन्द किशोर वनगमन कर विशुद्ध प्राकृतिक वातावरण में स्वयं भोजन तैयार कर सहभोज का आनंद उठाते हैं। उल्लेखनीय है कि रंग-बिरंगी पारंपरिक वेशभूषा में लोकभाषा गीतों-नृत्यों के सरल हास-खुशी प्रदर्शन के मनोहारी दृश्यों के साथ दान प्राप्त करने और सभी की कल्याण की कामना की जाती है। जो कि इस अन्नदान पर्व को और अधिक श्रेयष्कर बना देती है। प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेष जोर देकर बताया कि सहज रूप से बाल-किशोर पीढ़ी को संस्कृति, शिक्षण एवं अति महत्वा प्रकृति के साथ अनुकूलन की परम प्रेरणा एवं सर्व जन-जन को अन्नदान की महिमा को बताने वाला यह लोक पर्व समग्र देश-धरती में हमारी छत्तीसगढ़ी संस्कृति को अनुपम आला दर्जा प्रदान कराता है। आइये लोक संस्कृति पर्व-परंपरा को और अधिक समृद्ध और संवर्धन करने का संकल्प लेकर पर्व दिवस के महत्व को सही अर्थो में सार्थक करें।

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button