छत्तीसगढ़

अवैध प्लाटिंग पर रायपुर निगम फिर सुस्त, 200 की सूची बनाकर भूल गए अफसर

रायपुर शहर और आउटर इलाके में लगातार अवैध प्लाटिंग, अतिक्रमण और अवैध निर्माण की शिकायत पर कार्रवाई करने के लिए निगम प्रशासन ने दो सौ से अधिक ऐसे लोगों की सूची बनाई थी। अवैध प्लाटिंग करने वालों पर शिंकजा कसने की तैयारी थी लेकिन न तो अब तक जांच पूरी की गई न किसी के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो पाई। इसके लिए राजस्व,नगर निवेश विभाग की टीम भी गठित की गई थी।महापौर एजाज ढेबर,आयुक्त ने अधिकारियों की बैठक लेकर अतिक्रमण, प्लाटिंग और अवैध निर्माण को सख्ती से रोकने अभियान चलाने के निर्देश दिए थे, बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। निगम अधिकारियों की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण अवैध प्लाटिंग करने वाले बेखौफ होकर फिर से अपना काम कर रहे है।पिछले साल नगर निगम ने शहर और उससे लगे ग्रामीण इलाके में अवैध प्लाटिंग के दो दर्जन से अधिक मामले में पुलिस थानों में एफआइआर दर्ज कराया था।शुरू में कुछ गिरफ्तारी भी हुई लेकिन बाद में कार्रवाई ठप पड़ गई।महापौर एजाज ढेबर ने पिछले दिनों ही राजस्व और नगर निवेश के अधिकारियों की बैठक लेकर अतिक्रमण, प्लाटिंग और अवैध निर्माण को सख्ती से रोकने अभियान चलाने के निर्देश दिया था।

इसके बाद अवैध प्लाटिंग के 200 से अधिक पुराने मामलों, अतिक्रमण की दो दर्जन से अधिक शिकायतों, बिना अनुमति के भवनों के निर्माणों पर फौरी कार्रवाई करने निगम अमला सख्त हुआ पर मानिटरिंग नहीं होने से सूची बनाकर कार्रवाई करना अफसर भूल गए।रसूखदारों का दबावनिगम के सूत्रों ने बताया कि अवैध प्लाटिंग के खेल में कई रसूखदार बिल्डर, जनप्रतिनिधि, जमीन दलाल, वेंडर तक शामिल है।लिहाजा एफआइआर दर्ज होने के बाद से ही नामजद आरोपित गिरफ्तारी से बचने के लिए नगर निगम और पुलिस पर लगातार दबाव बनाते आ रहे है। यहीं वजह है कि पुलिस जहां उन पर हाथ डालने से कतरा रही है, वहीं निगम के अधिकारी,जनप्रतिनिधि भी शांत पड़ गए है।

रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद भी वेंडर करा रहे रजिस्ट्री

नगर निगम से जांच रिपोर्ट पर जिला पंजीयक ने अवैध तरीके से काटे गए प्लाट को बेचकर बकायदा उसकी रजिस्ट्री कराने वाले करीब 80 वेंडरों के लाइसेंस की जांच के आदेश दिए थे। पंजीयक के पास इस बात की भी शिकायत पहुंची थी कि जिन लोगों के रजिस्ट्रेशन खत्म हो गए हैं वे भी रजिस्ट्री कराने का काम कर रहे हैं।

ऐसे लोगों पर कार्रवाई के लिए ही सभी वेंडरों की जांच करने पर पता चला कि आम लोगों को कम खर्चे में आसानी से रजिस्ट्री कराने का झांसा देकर वेंडर अपने दफ्तर में बुलाते थे। रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क में कमी की जानकारी देकर वे मोटी रकम वसूल लेते थे। अब ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने से खुद ही प्रशासन अपना हाथ खींच रहा है।

अवैध प्लाटिंग करने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने निगम के अधिकारियों को कहा गया है। दर्ज कराए गए एफआइआर में नामजद आरोपितों की गिरफ्तारी करने पुलिस अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।

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