बेमेतरा जिला

बेमेतरा : मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी का हुआ प्रसारण

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी में आज ‘‘सुगम उद्योग, व्यापार-उन्नत कारोबार’’ विषय पर प्रदेशवासियों से बात-चीत की। मुख्यमंत्री श्री बघेल की रेडियोवार्ता लोकवाणी की 26वीं कड़ी का प्रसारण आज छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफएम रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों से प्रातः 10.30 से 11 बजे तक किया गया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योग, व्यापार और कारोबार के लिए अनुकूल वातावरण है। उन्होंने कहा कि संभावनाओं से भरपूर छत्तीसगढ़ में देश और दुनिया के निवेशक आकर देखें कि यहां उद्योग मित्र, व्यापार मित्र, कारोबार मित्र, उपभोक्ता मित्र, पर्यटक मित्र, रोजगार मित्र नीतियों से कैसे नवा छत्तीसगढ़ गढ़ा जा रहा है। राज्य मे शुरू से ही ऐसे कार्यों को महत्व दिया है, जिससे प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और रोजगार के अवसर बढ़ें।
नगर पंचायत साजा, मारो, नवागढ़, बेमेतरा सहित पूरे जिले में जिले वासियों द्वारा लोकवाणी का श्रवण किया गया। नपं साजा में लोकवाणी का प्रसारण सुनने की व्यवस्था नगर पंचायत साजा कार्यालय भवन के सभा कक्ष में किया गया। रेडियोवार्ता के कार्यक्रम में नगर पंचायत साजा में विधायक प्रतिनिधि मनोज जायसवाल , एल्डरमैन रोहित वर्मा, एवं दिनेश साहू , नगर पंचायत साजा कर्मचारीगण लोकेश शर्मा, ठुब्लू राम सिन्हा,भारत भूषण, केशव राम साहू,सुंदर सिन्हा, दुकालू वर्मा,राजेश यादव सहित अन्य लोग उपस्थित थे ।
लोकवाणी में बेमेतरा जिले के श्रोता विवेक तिवारी के एक प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन।
– खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं।
– कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया।
– दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई। हमने पूरी रणनीति ही बदल दी है। खनिज आधारित उद्योगों के स्थान पर ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता दी जिससे पर्यावरण प्रभावित न हो।
– कृषि और वानिकी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
– एक ओर धान की खेती करने वाले किसानों का मनोबल बढ़ाया वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक फसलों के प्रति भरपूर जागरुकता पैदा कर दी, हम बरसों से यह सुनते आए थे कि धान और गरीबी का चोली-दामन का साथ होता है।
– हमने इस कहावत को झुठला दिया है। अब हमारे धान उत्पादक किसान भी समृद्ध हैं। यही वजह है कि प्रदेश में धान की उत्पादकता और उत्पादन में रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है। वहीं हर साल समर्थन मूल्य पर खरीदी का भी नया कीर्तिमान बना है।
वर्ष 2017-18 में सिर्फ 15 लाख 77 हजार पंजीकृत किसान थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 66 हजार हो गए। इसमें से 21 लाख 77 हजार किसानों ने धान बेचा है। खेती का रकबा 22 लाख से बढ़कर 30 लाख 11 हजार हेक्टेयर हो गया। धान की खरीदी 56 लाख 88 हजार से बढ़कर लगभग 98 लाख मीट्रिक टन हो गई। सोचिए सिर्फ तीन साल में इतना तो आगे और कितना? इसके अलावा मक्का, गन्ना, तिलहन, दलहन, लघु धान्य फसल, उद्यानिकी फसलों का विकास भी तेजी से हो रहा है।

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