गोमूत्र का यूरिया के विकल्प के रुप में उपयोग के लिए होगा अनुसंधान
छत्तीसगढ़ में जैविक खेती के लिए गोबर के बाद अब राज्य सरकार गोमूत्र में संभावना तलाश रही है। गोमूत्र के वैज्ञानिक व्यवस्थित उपयोग को लेकर गुरुवार को मुख्य सचिव अमिताभ जैन बैठक ली। मंत्रालय में हुई इस बैठक में जैन ने कृषि वैज्ञानिकों से गोमूत्र का खेती-किसानी में उपयोग के लिए अनुसंधान और फिल्ड ट्रायल की अपील की।
कीटनाशकों से मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित
बैठक में जैन ने कहा कि रासायनिक खादों और विषैले कीटनाशकों के निरंतर उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम होती जा रही है। रासायनिक खादों के अत्याधिक उपयोग से जनसामान्य के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है कि खेती में जैविक खाद और गोमूत्र के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। गोमूत्र के उपयोग के लिए एकेडमिक रिसर्च की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इससे गोमूत्र के गुण, उसमें उपलब्ध विभिन्न प्रकार के तत्वों की मात्रा और इसके लाभ के बारे में तथ्यात्मक जानकारी सामने आएगी।
तकनीक विकसित करने का आह्वान
मुख्य सचिव ने राज्य के सभी 27 कृषि विज्ञान केंद्रों में प्रदर्शन के रूप में ली जाने वाली फसलों में गोमूत्र के वैज्ञानिक उपयोग की भी बात कही। मुख्य सचिव ने कहा कि गोमूत्र में नाईट्रोजन की प्रधानता और रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। इसका उपयोग रासायनिक उर्वरक यूरिया के विकल्प के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने राज्य के कृषि वैज्ञानिकों से यूरिया के स्थान पर गोमूत्र के उपयोग की वैज्ञानिक तकनीक विकसित करने का भी आह्वान किया।
बैठक में कुलपतियों और अधिकारियों ने की चर्चा
बैठक में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू कृषि उत्पादन, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गिरीश चंदेल, कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एनपी दक्षिणकर, आयुक्त डा. कमलप्रीत सिंह, कृषि सचिव डा. एस. भारतीदासन, सहकारिता सचिव हिमशिखर गुप्ता, संचालक कृषि यशवंत कुमार, संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं संजय चंदन त्रिपाठी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।