छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : पानी बहाकर सुखा दिया तालाब, न गहरीकरण हो सका और ना ही काम की स्वीकृति मिली

राजनांदगांव

पिछले एक माह से मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से ग्रामीणों के हाथों में रोजगार नहीं है। कुछ पंचायतों ने तालाब गहरीकरण के लिए पानी को दूसरी ओर डायवर्ट कर तालाब को सुखा दिया था पर हड़ताल के चलते काम हुआ ही नहीं और अब बारिश आने वाली है। यही हाल जिले के ज्यादातर पंचायतों का है, जहां तालाब गहरीकरण, कुआं खनन और नाला बंधान जैसे कार्य हुए ही नहीं।

जिले के कुछ सरपंचों ने गहरीकरण के नाम से तालाब का पानी बहाकर सुखा दिया था पर काम स्वीकृत ही नहीं हुए। अब पछता रहे हैं कि भरी गर्मी में पानी को दूसरी ओर डायवर्ट कर दिए।

इधर कुछ पंचायतों ने अफसरों के दबाव में काम तो शुरू कराया है पर गोदी खनन को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है। मजदूर निर्धारित मापदंड अनुसार गोदी की खुदाई नहीं कर रहे हैं। तोरनकट्‌टा, मनकी और अमलीडीह गांव में ताकि बरसात में जलभराव अच्छा होगा। पंचायतों ने काम स्वीकृत हो जाने की उम्मीद से तालाब के पानी को दूसरी ओर बहा दिया। मनरेगा से गहरीकरण कराने के चक्कर में रिस्क उठा लिए और अब तालाब सूखे पड़े हैं।

मिट्‌टी से जुड़े काम प्रभावित, सड़क मरम्मत का काम स्वीकृत नहीं
इसी तरह दूसरे पंचायतों में नाला बंधान का काम भी नहीं हो रहा है जबकि बारिश के पहले इस काम को पूरा करना था ताकि बारिश होने पर जलभराव हो सके और आसपास के क्षेत्र में वाटर रिचार्ज हो सके। किसान बारिश के पहले भूमि सुधार का काम भी मनरेगा से कराते हैं पर प्रमुख सीजन में ही काम नहीं हो पाया है।

अब 15 जून से मानसूनी दस्तक होने वाली है। ऐसे में मिट्टी से जुड़े निर्माण कार्य नहीं हो पाएंगे। ज्यादातर पंचायतों में धरसा रोड की मरम्मत का काम भी स्वीकृत था पर हड़ताल के चलते ये कार्य भी नहीं हो पाए। इसकी वजह से आगे अब समस्या बढ़ेगी। ऐसे में किसानों को बारिश में फिर से कीचड़ वाले रास्ते से आवाजाही करनी होगी।

डिमांड अब बढ़ने लगी
मानसून के दस्तक देते ही ग्रामीण सीधे खेती-किसानी के कार्य में जुट जाएंगे। इसलिए अभी बचे समय में मनरेगा में काम करना चाह रहे हैं ताकि आर्थिक परेशानी दूर कर सकें। इसके बाद खेती का काम शुरू होते ही ग्रामीण मजदूर मनरेगा की ओर नहीं आएंगे।

मनरेगा में यही सीजन होता है तब रोज डेढ़ से दो लाख तक मजदूर जिलेभर में एक ही दिन में काम करते हैं पर अभी हड़ताल के चलते ऑनलाइन में केवल 40 हजार मजदूर ही दिखा रहे हैं। रोजगार नहीं मिलने की वजह से व गांवों में समस्या देख मजदूर शहरों की ओर रोजगार के लिए रुख कर रहे हैं।

मापदंड से खुदाई ही नहीं
रोजगार दिखाने के चक्कर में अफसरों की ओर से सरपंचों को काम शुरू कराने कहा जा रहा है। कुछ सरपंच काम तो शुरू करा दे रहे हैं पर मौके पर न मस्टररोल भरा जा रहा है और न ही मजदूरों के भुगतान की कोई गारंटी है। मजदूर निर्धारित मापदंड के अनुसार गोदी की खुदाई भी नहीं कर रहे हैं।

9 से 10 इंच गहराई तक खनन करना है पर मॉनिटरिंग नहीं होने से मजदूर अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। देवादा पंचायत से शिकायत मिली है कि यहां तालाब गहरीकरण का कार्य मापदंड अनुसार नहीं हो रहा है। सरपंच का कहना है कि मजदूरों को बोले हैं।

पंचायतों में काम शुरू करा रहे: जिपं सीईओ
इस सीजन में हर साल जिले में दो लाख से ऊपर मजदूर काम करते थे पर हड़ताल के चलते अभी 54 हजार 151 मजदूर ही मनरेगा में काम कर रहे हैं। ऑनलाइन में यह रिकॉर्ड दिखाया जा रहा है पर धरातल की सच्चाई कुछ और है।

अफसरों का कहना है कि प्रदेश में मनरेगा के तहत रोजगार देने में जिला दूसरे नंबर पर है। जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने बताया कि पंचायतों में काम शुरू करा रहे हैं। दूसरे विभाग के इंजीनियर, पंचायत सचिव और मेट की मदद से काम करा रहे हैं।

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