छत्तीसगढ़बालोद जिलाराजनांदगांव जिला

राजनांदगांव । अंतरजातीय विवाह की इतनी बड़ी सजा की बाप की मौत पर अंतिम दर्शन भी नही करने दिया गया बेटे को’24 साल से एक परिवार सामाजिक बहिष्कार का झेल रहा दंश…


संविधान से अलग आज भी चलती सामाजिक ठेकेदारों का फरमान…बालोद जिले के इस गांव का मामला

अर्जुन्दा :-बेशक संविधान अंतर्जातीय विवाह की इजाजत दे। सरकारें इसकी हिमायत करें लेकिन अंतर्जातीय विवाह समाज के ठेकेदारों को नहीं भा रहा। इसके लिए वे अंतर्जातीय विवाह करने वाले संदीप देशमुख के सामाजिक बहिष्कार से गुरेज भी नहीं कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला बालोद जिले के अर्जुन्दा थाना क्षेत्र के ग्राम टिकरी में सामने आया है जिसमें दल्लीवार कुर्मी समाज ने अंतर्जातीय प्रेम विवाह करने वाले संदीप देशमुख का सामाजिक बहिष्कार करने व घर में प्रवेश नही करने की खाप पंचायत जैसी सजा सुनाई है। संदीप देशमुख ने पिछले दिनों बालोद कलेक्ट्रेक्ट पहुंचकर अपने 24 साल से सामाजिक बहिष्कार की दंश झेलने की जानकारी दी। उन्होंने समाज के 8 लोगो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।उन्होंने राज्यपाल, मानवाधिकार आयोग रायपुर, थाना प्रभारी अर्जुन्दा को पत्र प्रेषित किया हैं।संदीप देशमुख ने कलेक्टर को सौपे गए ज्ञापन में बताया कि 20 नवंबर 1998 को अंतर्जातीय विवाह किया था। तब से विजाति पत्नी रखने के करण दिल्लीवार कुर्मी समाज के द्वारा 28 मार्च 1999 से समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है तथा घर वालों के द्वारा भी घर में घुसने व निवास करने से रोक लगा दिया गया है। विवाह के समय मैं बेरोजगार था तथा मजदूरी कर जीवनयापन कर रहा था तब से अब तक विगत 24 वर्षो से अपने घर नहीं जा पाया हु। माह जनवरी 2009 को मेरे पिताजी चिंताराम देशमुख का देहावसान होने पर मुझे अंतिम दर्शन करने का अवसर भी समाज प्रमुख द्वारा तथा मेरे घर के लोगों के द्वारा नहीं दिया गया। उनके अर्थों को कंधा भी नहीं देने दिया गया। समाज से बहिष्कृत होने का हवाला देकर मेरी माता सरोजना देशमुख, बहन पूर्णिमा देशमुख, भाई लोचन देशमुख तथा रीना सकिल के पदाधिकारी एवं ग्राम परसतराई के समाज प्रमुखों के द्वारा बलपूर्वक मेरे पिता के अंतिम क्रिया में शामिल होने रोक लगा दिया। मेरी पत्नी उच्च वर्ग जैन समाज से संबंध रखती है मेरे द्वारा विवाह के पश्चात् समाज के कठोर नियमों एवं दण्डात्मक कार्यवाही के डर से आज तक अपने घर परिवार के किसी भी समारोह में शामिल नहीं हो सका।मेरी एक पुत्री है जो विवाह योग्य हो चुकी है दिल्लीवार कुर्मी समाज द्वारा मुझे मेरी पत्नी व मेरी बेटी के साथ छूआ-छूत जैसी हीन भावना का व्यवहार किया जाता है। आज के परिवेश में इस तरह का सोच रखना समझ से परे है। भारतीय संविधान में जहां अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना लागू है एवं इसे बढ़ावा दिया जाता है लेकिन समाज के विचारधारा एवं तुच्छ मानसिकता के कारण आज तक मैं अपने घर से बेघर एवं रिश्ते-नातों में शामिल नहीं हो पा रहा हूँ। मेरे घर में प्रवेश करने से रोक लगाने, मेरी स्वतंत्रता में बाधा पहुंचाने मौलिक अधिकारों का हनन करने व छूआ-छूत एवं भेदभाव को बढ़ावा देने हेतु समाज के प्रमुखों एवं मेरे परिवार के लोगों के विरूद्ध कठोर से कठोर दण्डात्मक कार्यवाही करने एवं मुझे न्याय दिलाने की मांग शासन प्रशासन से किया हैं।

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