राज्‍य

क्या है एसएससी घोटाला, जिसमें घिरे पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी, जानें अब तक कितनी रकम बरामद?

अब तक यह साफ नहीं है कि आखिर पार्थ चटर्जी किस मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं? वह कौन सा मामला है, जिसमें उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापे पड़ रहे हैं? आखिर ईडी ने अर्पिता के घर पर ही छापेमारी कैसे की? इसके अलावा वे और कौन-कौन से नेता हैं, जो कि ईडी की रडार पर हैं?

तृणमूल कांग्रेस सरकार में पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को लेकर ताजा खुलासों ने बंगाल में राजनीतिक सरगर्मियों को तेज कर दिया है। अर्पिता के घर पर पड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों से अब तक 53 करोड़ से ज्यादा का कालाधन बरामद हो चुका है। अभी उनके दो और फ्लैट्स में छापेमारी जारी है, जिससे कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं। 

इस बीच ज्यादातर लोगों को अब तक यह साफ नहीं है कि आखिर पार्थ चटर्जी किस मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं? वह कौन सा मामला है, जिसमें उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापे पड़ रहे हैं? आखिर ईडी ने अर्पिता के घर पर ही छापेमारी कैसे की? इसके अलावा वे और कौन-कौन से नेता हैं, जो कि ईडी की रडार पर हैं?

वह घोटाला, जिसमें फंसे पार्थ चटर्जी-अर्पिता मुखर्जी?
– पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी जिस मामले में फंसे हैं उससे एसएससी घोटाला या शिक्षा भर्ती घोटाला भी कहा जा रहा है। बताया गया है कि 2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) को सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए 13,000 ग्रुप-डी कर्मचारियों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। 

– 2019 में इन नियुक्तियों को करने वाले पैनल की समय सीमा समाप्त हो गई। लेकिन इसके बावजूद, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) द्वारा कथित तौर पर कम से कम 25 व्यक्तियों को नियुक्त कर दिया गया था।

– नवंबर 2021 में अदालत के सामने दायर एक याचिका में इन ‘अवैध’ नियुक्तियों ने व्यवस्था में भ्रष्टाचार बताया गया था। इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने एसएससी और पश्चिम बंगाल बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) से हलफनामे मांगे थे और मामले की सुनवाई आगे बढ़ाई थी। लेकिन इन दोनों संस्थाओं ने खुली अदालत में एक-दूसरे से उलट तथ्य पेश किए।

क्या थे दोनों संस्थाओं के हलफनामे में?
– एसएससी ने अपने हलफनामे में यह दावा किया कि उसने अपनी और से किसी कर्मचारी की नियुक्ति की सिफारिश के लिए चिट्ठी नहीं जारी की, जबकि डब्ल्यूबीएसएसई ने कहा कि उसे एक पेन ड्राइव में डेटा मिला था। इसी के तहत इन लोगों की नियमानुसार नियुक्ति हुई थी। 

– सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि एसएससी पैनल का कार्यकाल खत्म होने के बाद बंगाल बोर्ड में 25 नहीं बल्कि 500 से ज्यादा लोगों को नियुक्त कर दिया गया। इनमें से ज्यादातर अब राज्य सरकार से वेतन ले रहे हैं। 

पांच बेंच कर चुकी हैं मामले की सुनवाई से इनकार
चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय की बेंच ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। हालांकि, डिवीजन बेंच ने उनके आदेश पर दो हफ्ते की रोक लगा दी। बाद में जस्टिस गंगोपाध्याय ने भारत के चीफ जस्टिस और कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का ध्यान इस ओर खींचा। जस्टिस गंगोपाध्याय ने सीबीआई को आदेश दिया कि वह डब्ल्यूबीएसएससी के पूर्व सलाहकार शांतिप्रसाद सिन्हा और चार अन्य लोगों से नियुक्ति में गड़बड़ी के लिए पूछताछ करे। जहां सिन्हा से सीबीआई ने पूछताछ की, वहीं इस मामले में बाकी लोग डिवीजन बेंच पहुंच गए। 

हालांकि, जस्टिस हरीश टंडन और रबिंद्रनाथ सामंत की बेंच ने निजी कारणों से याचिकाकर्ताओं की अपील पर सुनवाई से इनकार कर दिया। इसके बाद जस्टिस टीएस शिवागननम और सब्यसाची भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने भी अपील पर सुनवाई से इनकार किया। बाद में यह याचिका जस्टिस सोमेन सेन और जस्टिस एके मुखर्जी की बेंच को सौंपा गया। हालांकि, इस बेंच ने भी याचिकाओं को सुनने से मना कर दिया। चौथी बार यह याचिकाएं जस्टिस जॉयमाल्या बागची और बिवस पटनायक की डिवीजन बेंच के सामने आईं और इस बेंच ने भी मामले पर सुनवाई नहीं की। दोनों जजों ने चीफ जस्टिस से केस को किसी और बेंच को सौंपने के लिए कहा। आखिरकार पांचवीं बार में जस्टिस सुब्रत तालुकदार और जस्टिस कृष्ण राव की बेंच ने सुनवाई के लिए हामी भरी। इस मामले पर सुनवाई अभी जारी है। 

कैसे हुई ईडी की एंट्री, निशाने पर क्यों आए पार्थ और अर्पिता?
ईडी ने इस मामले में मई में जांच शुरू कर दी। 22 जुलाई को ही एजेंसी ने पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी। पार्थ चटर्जी के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ईडी को अर्पिता मुखर्जी की प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले थे। जब पार्थ चटर्जी से अर्पिता की पहचान पूछी गई, तो वे इस पर टाल-मटोल करने लगे। 

इसके बाद ईडी ने जांच का दायरा बढ़ाया और अभिनेत्री अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट पर छापेमारी की। अर्पिता को पार्थ का करीबी भी बताया जाता है। एजेंसी को अर्पिता के फ्लैट से करीब 21 करोड़ रुपए कैश, 60 लाख की विदेशी करेंसी, 20 फोन और अन्य दस्तावेज मिले। इसके बाद ईडी ने बुधवार को अर्पिता के दूसरे ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी को अर्पिता के घर से 27.9 करोड़ रुपए कैश मिला है। 

किस-किस पर ईडी की निगाह?
ईडी ने इस मामले में अब तक पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी के अलावा तृणमूल कांग्रेस के विधायक मणिक भट्टाचार्य से पूछताछ की है। इस मामले में राज्य के एक और मंत्री परेश अधिकारी से भी पूछताछ हुई थी। इतना ही नहीं उनकी बेटी की टीचर की नौकरी भी चली गई। आरोप है कि अंकिता अधिकारी को नियमों को तांक पर रखकर नौकरी दी गई।

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button