राजनांदगांव : शासन द्वारा गौमूत्र की उपयोगिता को देखते हुए गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौमूत्र की व्यापक तौर से की जा रही खरीदी – जिले के गौठान में अब तक 263 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई
– गौमूत्र से बनने वाले जैविक कीट नियंत्रक, जीवामृत, ग्रोथ प्रोमोटर बहुत उपयोगी साबित होंगे
राजनांदगांव 01 अगस्त 2022। शासन द्वारा गौमूत्र की उपयोगिता को देखते हुए गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौमूत्र की व्यापक तौर से खरीदी की जा रही है। फसल उत्पादन में गौमूत्र की उपयोगिता प्रभावी है। वर्मी कम्पोस्ट के फायदे को देखते हुए किसानों ने इसे अपनाया है। वहीं अब गौमूत्र से बनने वाले जैविक कीट नियंत्रक, जीवामृत, ग्रोथ प्रोमोटर बहुत उपयोगी साबित होंगे। रासायनिक खाद तथा कीटनाशक के दुष्प्रभाव को देखते हुए किसानों का रूझान जैविक कृषि उत्पादों की ओर बढ़ा है। इससे न केवल कृषि लागत में कमी आएगी बल्कि पर्यावरण प्रदूषण भी कम होगा। जिले में गोधन न्याय योजनांतर्गत जिले के गौठान में मल्टी-एक्टिविटी के रूप में गौमूत्र खरीदी प्रारंभ है। कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने गोधन न्याय योजना अंतर्गत गौमूत्र क्रय करने के कार्य को प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शासन के मंशानुसार गौमूत्र की खरीदी के बाद उत्पाद तैयार किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 4 रूपए प्रतिलीटर की दर से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है। समूह की महिलाओं द्वारा गौठान में गौमूत्र संग्रहण किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है। जिले के गौठान में अब तक 263 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई है। गौठान प्रबंधन समिति एवं स्वसहायता समूह द्वारा स्थानीय स्तर पर तथा सी-मार्ट के माध्यम से तैयार उत्पाद का विक्रय किया जाएगा।
गौवंश पशु प्रतिदिन औसतन 7 लीटर गौमूत्र विसर्जित करती है, जिसमे से 1 – 2 लीटर एकत्रित किया जा सकता है। गौठान में 50 से 100 लीटर गौमूत्र प्रतिदिन एकत्रित किया जा सकता है। गौठान प्रबंधन समिति द्वारा पशुपालक से गौमूत्र का क्रय कर कर इसके विभिन्न उपयोगी उत्पाद बनाये जाएंगे। रासायनिक खाद तथा रासायनिक कीट नाशक के प्रयोग से मृदा, पशु, मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। गोबर के साथ-साथ गौमूत्र को रासायनिक खाद तथा रासायनिक कीट नाशक के विकल्प के रूप में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित ढंग से उपयोग कर रासायनिक खाद तथा रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जा सकता है।