मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री के गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने पर उन पर जमकर निशाना साधते हुए कहा है कि लगता है कि आपके संबंध उन लोगों के साथ मधुर हो गए हैं जिन लोगों ने धारा 370 हटाई.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने आज पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उनके इस्तीफे के बाद देश के अलग-अलग राजनेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. अब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने भी इसको लेकर अपना रिएक्शन दिया है.
गुलाम नबी आजाद पर आक्रामक होते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh attacked Ghulam Nabi) ने कहा कि जब आप कश्मीर से नहीं जीत पाए तो कांग्रेस पार्टी ने आपको दो-दो बार महाराष्ट्र से सांसद बनाया, आपको 30 साल तक राज्यसभा का सदस्य बनाया ,लेकिन जब सोनिया गांधी इलाज़ के लिए बाहर हैं तो ऐसी चिठ्ठी लिखी. ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने धारा 370 हटाई. आपके उनके साथ संबंध मधुर हो गए हैं.
आपके पार्टी छोड़ने का बड़ा दुख: दिग्विजय
सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर ट्वीट करते हुए दिग्गी राजा ने लिखा,’गुलाम नबी आजाद जी को कांग्रेस ने संगठन व सरकार में अनेकों बार कई पदों से नवाजा. 2 बार लोकसभा सांसद बनाया, जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया. चुनाव की हार जीत से बचाकर 5 बार RS सांसद बनाया, उसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी मुझे इस बात का बड़ा दुख है! आगे उन्होंने लिखा, ‘आपने लिखा कि भारत जोड़ो अभियान न चलाकर कांग्रेस जोड़ो अभियान चलाना चाहिए वो भी उस वक़्त जब आप स्वयं कांग्रेस पार्टी तोड़कर निकल गए. राहुल गांधी जी पर लगाये आपके आरोप निराधार हैं. आपने जो इस्तीफा दिया और जो पत्र लिखा है उसकी मैं घोर निंदा करता हूं.’
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मैं और गुलाम नबी आजाद दोनों एक उम्र के हैं। दोनों एक साथ ही राजनीति में आए। 1977 के विधानसभा चुनाव में वे नहीं चुने गए और उनकी जमानत जब्त हुई। कश्मीर से लड़े थे। मैं 1977 में विधानसभा चुनाव लड़ा था और चुनाव जीत कर आया। इसके बाद वह देश के अखिल भारतीय युवक कांग्रेस कमेटी में महामंत्री और अध्यक्ष रहे। मैं मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस कमेटी में महामंत्री रहा। हमारे उनके बड़े अच्छे संबंध रहे। आज भी हैं, लेकिन मुझे इस बात का दु:ख है कि जिस पार्टी ने उन्हें सबकुछ दिया। आज वे उसे अलविदा कह रहे हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी दी प्रतिक्रिया
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘‘आजाद के इस्तीफे से निराश हूं. इस समय पार्टी को छोड़ना उन फासीवादी ताकतों को मजबूती देना है, जो भारत के संवैधानिक तानेबाने और संविधान को नष्ट कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए बेहतर फैसला करना चाहिए था. गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया तथा नेतृत्व पर आंतरिक चुनाव के नाम पर पार्टी के साथ बड़े पैमाने पर ‘धोखा’ करने का आरोप लगाया.