बस्तर:-इन रसों के सेवन के लिए शहर से गांव तक पहुंच जाते हैं शौक़ीन, जानिए बस्तर में मिलने वाले पेय पदार्थों की कुछ ख़ास बातें
आप में से शायद ही किसी ने सुना हो कि किसी पेड़ से आनन्द दायक पेय मिलता हो। मगर बस्तर मे बहुत से ऐसे पेड़ पाए जाते हैं जिनके रस इंसान को मदहोश कर देते हैं। आदिवासी ग्रामीणजनों के द्वारा इन पेय पदार्थों को बेचकर अच्छी खासी आ्मदनी कमाई जाती है। आप में से शायद ही किसी ने सुना हो कि किसी पेड़ से आनन्द दायक पेय मिलता हो। मगर बस्तर मे बहुत से ऐसे पेड़ पाए जाते हैं जिनके रस इंसान को मदहोश कर देते हैं। आदिवासी ग्रामीणजनों के द्वारा इन पेय पदार्थों को बेचकर अच्छी खासी आ्मदनी कमाई जाती है। ये बाज़ार में नहीं मिलते बल्कि एक तरह के पेड़ से निकलने वाले रस से बनते हैं। बस्तर में पेय पदार्थ जैसे सल्फी, महुआ,ताड़ी तथा लांदा का सेवन किया जाता है। माना जाता है कि ये पेय पदार्थ स्वास्थय के लिए भी लाभकारी होते हैं। तो आइए जानते हैं इन पेय पदार्थों के बारे में कुछ ख़ास
- आप में से शायद ही किसी ने सुना हो कि किसी पेड़ से आनन्द दायक पेय मिलता हो। मगर बस्तर मे बहुत से ऐसे पेड़ पाए जाते हैं जिनके रस इंसान को मदहोश कर देते हैं। आदिवासी ग्रामीणजनों के द्वारा इन पेय पदार्थों को बेचकर अच्छी खासी आ्मदनी कमाई जाती है।जगदलपुर: आप में से शायद ही किसी ने सुना हो कि किसी पेड़ से आनन्द दायक पेय मिलता हो। मगर बस्तर मे बहुत से ऐसे पेड़ पाए जाते हैं जिनके रस इंसान को मदहोश कर देते हैं। आदिवासी ग्रामीणजनों के द्वारा इन पेय पदार्थों को बेचकर अच्छी खासी आ्मदनी कमाई जाती है। ये बाज़ार में नहीं मिलते बल्कि एक तरह के पेड़ से निकलने वाले रस से बनते हैं। बस्तर में पेय पदार्थ जैसे सल्फी, महुआ,ताड़ी तथा लांदा का सेवन किया जाता है। माना जाता है कि ये पेय पदार्थ स्वास्थय के लिए भी लाभकारी होते हैं। तो आइए जानते हैं इन पेय पदार्थों के बारे में कुछ ख़ास –सल्फीयह पेय रस स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है पर इस पेड़ से निकलने वाला रस बासी होने लगता है तो इसमें खमीर उठने लगता है। इसके सेवन करने से नशा चढ़ता है इसलिए इस पेय को बस्तर की बस्तर बियर या देसी बियर के नाम से जाना जाता है। बस्तर में ठंड के मौसम आते ही बस्तर की प्रसिद्ध बस्तर बियर सल्फी का मौसम भी आ जाता है। ठंड का मौसम आते ही सल्फी पेड़ से रस निकलना शुरू होता है। इसके शौकीन इसके सेवन के लिए गांव-गांव पहुंचने लगते हैं।सल्फी का ताजा रस स्वास्थ्य के लिये अच्छा माना जाता है। यह बीयर की तरह हल्का नशा करता है इसलिए बस्तर में में इसे बस्तर बीयर या देशी बीयर के नाम से प्रसिद्ध है। अब शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग इसका सेवन करने के लिए गांव पहुंचते हैं। मांग अधिक होने की वजह से ही सल्फी रस बहुत अधिक महंगा बिकने लगा है। सल्फी का यह पेड़ बस्तर संभाग में बहुत अधिक पाया जाता है। सल्फी का पेड़ बस्तर के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पेड़ को गोंडी में गोरगा एंव हल्बी में सल्फी कहते हैं। यह सल्फी बस्तर बियर के नाम से भी प्रचलित है।लांदालांदा एक प्रचलित पेय पदार्थ है। इसे बड़कड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसे चावल के आटे से बनाया जाता है। यह लांदा बस्तर के हाट बाजारों में हांडियों में दूध की तरह सफेद बिकते हुए नजर आते हैं। लोग इसे प्रति गिलास की दर से खरीद कर इसका सेवन करते है। बस्तर में रहने वाले ग्रामीण लांदा को हाट बाजारों में बेचने के लिए लाते हैं। इसका स्वाद हल्का सा तीखा खट्टा होता है।इस तरल पेय पदार्थ से शरीर को ऊर्जा स्फूर्ति एवं पोषण मिलता है। गर्मी के दिनों में शरीर को जल की जरुरत अधिक होती है। ऐसे में इस पेय की ख़ास बात यह भी है कि पेट में तरल सुपाच्य होने के कारण इसकी मदद से शरीर में जल की जलापूर्ति बनी रहती है।महुआमहुआ का वृक्ष वर्ष में एक ही बार फूलता है। ये फूल फरवरी माह से जून माह तक झड़ते हैं। आदिवासियों द्वारा इसके फूल बीनकर जमा कर लिए जाते हैं और उन्हें सुखाकर बाद में उनसे मंद यानि पेय पदार्थ बनाई जाती है। फूलों से बनाई गई मंद, सर्वप्रथम घर के देवी -दवताओं को अर्पित की जाती है, उसके बाद लोग उसका सेवन करना शुरू करते हैं। बस्तर में देव -धामी में महुआ मंद सर्वोपरि है, इसे अर्पित किए बिना किसी भी देवी -देवता को प्रसन्न करना संभव नहीं है।ताड़ीताड़ी एक प्राकृतिक पेय पदार्थ है जो नारियल या ताड़ के पेड़ के रस से बनाई जाती है। इसमें काफी कम मात्रा में नशा होता है। ताड़ी को परंपरागत रूप से अन्य दूसरी तरह के शराब से अलग माना जाता है। यह उच्च पोषण वाला विटामिन युक्त पेय पदार्थ है। ताड़ी रक्त की गुणवत्ता में सुधार और शरीर के सभी अंगों, तंत्रिकाओं और ऊतकों के लिए आवश्यक विटामिन प्रदान करती है। उचित मात्रा में इसके पीने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है।