कवर्धा जिला

कवर्धा:- जिला अस्पताल के छत पर सडऩे फेंक दिए कई उपयोगी उपकरण और सामग्री

जिला मुख्यालय का 100 बिस्तर जिला अस्पताल के छत पर अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही उजागर हो रही है। एक तो वैसे ही भी जिले के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं जबकि दूसरी ओर जिला अस्पताल के छत पर लाखों रुपए से खरीदे गए उपकरण व सामग्री को यूं ही फेंक दिया गया है। इसमें ढेरों सामग्री हैं जिसे जिला अस्पताल में नहीं तो अन्य शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में उपयोग किया जा सकता है।कुछ माह पूर्व ही कबीरधाम जिला अस्पताल को राष्ट्रीय स्तर का नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड प्रमाण पत्र मिला। इसके पश्चात कायाकल्प अवार्ड में भी जिला अस्पताल को रनरअप के तहत प्रशस्ति पत्र व 20 लाख रुपए का पुरस्कार प्राप्त हुआ।अब जिला अस्पताल की छत में फेंके गए उपकरण और सामग्रियों को देखकर लगता है कि इस अवार्ड व प्रमाण पत्र को पाने के ही जिला अस्पताल में नई सामग्रियों की खरीदी की गई होगी। इसके चलते पूर्व में खरीदे गए अधिकतर सामग्रियों को उठाकर छत पर सडऩे के लिए फेंक दिया गया। मतलब जिला अस्पताल को जो अवार्ड में मिले वह महज दिखावे के रहे। धरातल के कार्य से इनका कोई सरोकार नहीं। मामला मीडिया के सामने आने के बाद सीएमएचओ डॉ.सुजाय मुखर्जी ने स्टोर प्रभारी को जमकर फटकार लगाई। जबकि दो माह तक सीएमएचओ ही जिला अस्पताल के सिविल सर्जन रहे। वह रोजाना ही जिला अस्पताल पहुंचते थे, निरीक्षण करते थे।सीलबंद सामग्रियों को भी फेंकाजिला अस्पताल के छत पर कई मंहगे उपकरण, सामग्री व कैमिकल नए सीलबंद हालात में थे जिसे फेंक दिए गए। इसमें पलंग, बेड साइड टेबल, मेडिसिन ट्रॉली, लेबर टेबल, बेसिन स्टैंड, वाटर बॉयलर हैं। वहीं फ ाउलर बेड, वेइंग मशीन, फोटोथेरेपी यूनिट, कैमिकल, यूरिन पॉट, स्टूल पॉट, बेड साइड थ्री व्हील स्क्रीन, ड्रेसिंग किट, ओटी किट कचरेे की तरह फेंक दिए गए। इसमें कई सामग्री व उपकरण पूरी तरह से सीलबंद थे। मतलब खरीदी के बाद उसका उपयोग ही नहीं हो पाय, बावजूद उसे कबाड़ की तरह फेंक दिया गया।हो जाती उपयोगिताकचरे की तरह तरह फेंके गए ढेरों उपकरण व सामग्री जिनका उपयोग जिला अस्पताल में न सही, लेकिन अन्य सामुदायिक, प्राथमिक या उपस्वास्थ्य केंद्र में किया ही जा सकता था। जिले के अधिकतर शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं की कमी है। दवाईयों के अलावा उपकरण व सामग्री के लिए हमेशा ही मांग पत्र भेजा जाता है जिसमें बमुश्किल 10 प्रतिशत की पूर्ति हो पाती है।निष्क्रिय समिति सदस्यजिला अस्पताल में जीवन दीप समिति और इनके सदस्य हैं ताकि अस्पताल का क्रियांवयन सही तरीके से हो। अब जिला अस्तपाल की स्थिति और छत पर मिले उपकरण व सामग्रियों को देखने के बाद तो यही लगता है कि जीवन दीप समिति के सदस्य के केवल नाम के रह गए हैं। सदस्य निष्क्रिय पड़े हैं जिन्हें जिला अस्पताल से कोई सरोकार नहीं है।जिला अस्पताल के छत पर सडऩे फेंक दिए कई उपयोगी उपकरण और सामग्री

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