बालोद जिला

बालोद :-गंभीर मरीजों को मिलेगा इलाज: दिसंबर तक तैयार हो जाएगा बर्न यूनिट, नए साल से मरीजों को उपचार होगा शुरू

बालोद जिला अस्पताल में जल्द बर्न यूनिट की सुविधा मिलने वाली है। सीजीएमएससी 25 लाख 60 हजार रुपए की लागत से 8 बिस्तर का बर्न यूनिट बना रहा है। काम भी लगभग 80 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। नए साल में इसका लाभ जिलेवासियों को मिलने लगेगा। बर्न यूनिट बनने से जिला अस्पताल में ही जले लोगों का इलाज होगा और उन्हें अलग से वार्ड में रखा जाएगाबालोद. जिला अस्पताल में जल्द बर्न यूनिट की सुविधा मिलने वाली है। सीजीएमएससी 25 लाख 60 हजार रुपए की लागत से 8 बिस्तर का बर्न यूनिट बना रहा है। काम भी लगभग 80 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। नए साल में इसका लाभ जिलेवासियों को मिलने लगेगा। बर्न यूनिट बनने से जिला अस्पताल में ही जले लोगों का इलाज होगा और उन्हें अलग से वार्ड में रखा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग व सीजीएमएससी विभाग का कहना है दिसंबर के अंत तक बर्न यूनिट को पूर्ण कर लिया जाएगा। नए साल में संचालन किया जाएगा। बर्न यूनिट जिला अस्पताल की दूसरी मंजिल की छत पर बनाया जा रहा है। अभी तक कम जले मरीज का इलाज जिला अस्पताल में करते हैं, लेकिन ज्यादा गंभीर मरीज आ गए तो तत्काल रेफर कर दिया जाता है। अब इनका भी उपचार हो सकेगा। सिविल सर्जन ने कहा कि यह बालोद जिले के लिए बड़ी उपलब्धि हैं। इसकी अधिक जरूरत थी।जिला बनने के बाद लगातार चल रही थी मांगजिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरके श्रीमाली ने बताया कि जब भी झुलसे मरीज आते थे। इलाज की पूरी सुविधाएं नहीं होती थी तो प्राथमिक उपचार कर रेफर कर देते थे। लगातार सर्वसुविधायुक्त बर्न यूनिट बनाने की मांग की जा रही थी। आखिरकार यूनिट तैयार होने वाली है। दिसंबर के अंत तक काम पूरा हो जाएगा।आठ बिस्तर में आईसीयू की भी सुविधास्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यह बर्न यूनिट 8 बिस्तर का बनाया जाएगा। यूनिट मे आईसीयू, वेंटिलेटर, चिकित्सक वार्ड, स्टाफ नर्स वार्ड सहित अन्य सुविधाएं होगी। पूरी यूनिट ऑक्सीजन सपोर्ट रहेगा। ओपीडी, महिला व पुरुष वार्ड के साथ चार टॉयलेट आदि भी बनाए जाएंगे।

बर्न यूनिट के यह लाभबर्न यूनिट से गरीबों की भी बच सकेगी जान।इलाज कराने अन्य शहर नहीं जाना पड़ेगा।प्लास्टिक सर्जरी की भी सुविधा मिलेगी।हर साल 20 से 30 मरीज आते हैं, जिनका इलाज होगा।
बर्न यूनिट के अभाव में कई ने तोड़ा दमजिला अस्पताल में बर्न यूनिट नहीं होने पर 15 प्रतिशत से अधिक जले मरीज को रेफर कर दिया जाता है। समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण कई मरीज रास्ते में दम तोड़ देते हैं। अस्पताल भी पहुंच गए तो उसे इलाज की पूरी सुविधा नहीं होने के कारण रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में मरीज को बर्न यूनिट सुविधा वाले अस्पताल पहुंचने में देर हो जाती है। इलाज में देरी के कारण मौत हो जाती है।

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