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छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पर पोस्टर वॉर:भाजपा कार्यालय के पास लगा बोर्ड, राजभवन संचालन केंद्र इधर है

छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधित विधेयक का मामला गरमाता जा रहा है। बात अब जुबानी जंग से निकलकर सड़क पर आ गई है। राजधानी रायपुर की सड़कों पर बोर्ड और होर्डिंग लगाकर नया पोस्टर वॉर शुरू हो गया है। इस पोस्टर में किसी पार्टी का नाम नहीं है, लेकिन यह दर्शाया गया है कि राज भवन का संचालन अस्थाई रूप से भाजपा कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में स्थानांतरण कर दिया गया है। 

शहर में कई जगहों पर लगाए गए पोस्टर
ऐसा ही एक पोस्टर भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय एकात्म परिसर के पास लगाया गया है। इस पर लिखा है राजभवन संचालन केंद्र इधर है। बकायदा तीर का निशान बनाकर उसे दर्शाया गया है। तेलीबांधा चौराहे पर भी एक ऐसा ही बड़ा पोस्टर लगाया गया है । जिसमें एकात्म परिसर को राजभवन संचालन केंद्र बताया गया है। इसके अलावा प्रमुख सड़कों पर खंभों पर छोटे-छोटे पोस्टर लगाए गए हैं।

एक माह से राजभवन में अटका है विधेयक
दरअसल, कांग्रेस तीन जनवरी यानी मंगलवार को राजभवन में करीब एक माह से अटके हुए आरक्षण विधेयक को लेकर प्रदर्शन करने जा रही है। यह प्रदर्शन रायपुर में होने वाला है। सभी समाज प्रमुखों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने राजीव भवन शंकर नगर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में चर्चा कर आरक्षण बिल को राजभवन में रुकने का कारण बताते हुए भाजपा को दोषी करार दिया है। 

कांग्रेस चुनावी मोड में
सूत्र बता रहे हैं कि राज्य सरकार और कांग्रेस अभी यह मान कर चल रही है यह मामला तो विधानसभा और राजभवन के बीच का है। सरकार का कोई लेना-देना नहीं। फिर राजभवन हस्ताक्षर करती है या लंबे समय तक पेंडिंग रखती है, वह जाने। अब सरकार को भी कोई चिंता नहीं है ऐसा प्रतीत होता है। कांग्रेस सरकार और कांग्रेस पार्टी चुनावी मोड की रणनीति बनाने में व्यस्त हो गए हैं। 

इन कानूनों से मिलेगा आरक्षण

छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।

जिलों में 88% तक हो सकता है आरक्षण

राज्य सरकार ने इस विधेयक में पहली बार जिला कॉडर के पदों पर आरक्षण का निर्धारण कर दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया, जिलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुसूचित जाति और जनजाति को संबंधित जिले में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा। अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को अलग-अलग जिलों में 4 से 10% तक आरक्षण मिलेगा। अभी तक जिला कॉडर का आरक्षण एक शासनादेश के जरिये दिया जाता रहा है। उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर के आदेश में यह आरक्षण अवैध बताकर सरगुजा संभाग के जिलों में खारिज कर दिया था। अब नई व्यवस्था की वजह से किसी-किसी जिले में आरक्षण की सीमा 88% तक हो जाएगी।

19 सितम्बर तक 58% था आरक्षण

छत्तीसगढ़ की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अभी 19 सितम्बर तक 58% आरक्षण था। इनमें से अनुसूचित जाति को 12%, अनुसूचित जनजाति को 32% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण था। इसके साथ कुछ हद तक सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था थी। 19 सितम्बर को आए बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खत्म हो गया। उसके बाद सरकार ने नया विधेयक लाकर आरक्षण बहाल करने का फैसला किया।

सीएम ने कहा था- राजभवन का विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि राज्यपाल भाजपा नेताओं के दबाव में हैं। राजभवन का विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है। उन्होंने पूर्व सीएम रमन सिंह के दिए बयान का जिक्र किया कि ‘मुख्यमंत्री की इच्छा से तैयार किए गए बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर सकती’। इसे लेकर सीएम बघेल ने कहा था कि बिल विभाग तैयार करता है। कैबिनेट में प्रस्तुत होता है। फिर एडवाइजरी कमेटी के सामने जाता है। 

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