एक्सक्लूसिवछत्तीसगढ़रायपुर जिला

चंद्रशेखर ओझा बने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलसचिव, हटाए गए आनंद शंकर बहादुर

रायपुर – राज्य सरकार ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में नए कुलसचिव की नियुक्त कर दी है। विश्विविद्यालय का नया कुलसचिव चंद्रशेखर ओझा को बनाया गया है।

राज्य सरकार ने कुशाभाऊ ठाकरे  विश्वविद्यालय के कुल कुलसचिव डॉ. आनंद शंकर बहादुर की सेवाएं प्रतिनियुक्ति से वापस लेते हुए उनके स्थान पर चंद्रशेखर ओझा सहायक प्रध्यापक अर्थशास्त्र शासकीय महाविद्यालय खरोरा जिला रायपुर को आगामी आदेश तक प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव बनाया है। वहीं डॉ. आनंद शंकर बहादुर को आयुक्त उच्च शिक्षा संचनालय इंद्रावती भवन में आगामी आदेश तक हाजिरी लगाने के लिए निर्देशित किया गया है। डॉ. बहादुर का पदस्थापना संबंधी आदेश पृथक से जारी किया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग, महानदी भवन नया रायपुर ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 

बता दें कि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में कुलपति बलदेव भाई शर्मा और कुलसचिव आनंद शंकर बहादुर हाईकोर्ट की अवमानना के मामले में बुरे फंसे हैं। इस बार मामला अनियमित कर्मचारियों को सेवा से हटाने का है। विश्वविद्यालय में लंबे वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतन भोगी 23 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर उन्हें प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी को देने के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्मचारियों के पक्ष में  27 सितंबर 2022 को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए आदेश दिया कि उन्हें अगली सुनवाई तक न हटाया जाए। 
इसमें ऐसे अनेक कर्मचारी थे जो विश्वविद्यालय में लिपिक, टायपिस्ट, कम्प्यूटर आपरेटर, कैमरा आपरेटर, टेक्नीशियन रेडियो एवं टीवी स्टूडियो, असिस्टेंट लायब्रेरियन, ड्राइवर, भृत्य, गार्डनर और स्वीपर जैसे पदों पर वर्षों से कार्य कर रहे थे, लेकिन कुलपति और कुलसचिव की हठधर्मिता के चलते हाईकोर्ट के आदेश को भी इन्होंने अंगूठा दिखा दिया और कर्मचारियों को सेवा से हटाने का फरमान जारी कर दिया। छत्तीसगढ़ में यह पहला अनोखा मामला है जहां 23 अनियमित कर्मचारियों को सेवा से हटाने के साथ ही साथ उन्हें विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से भी प्रतिबंधित कर दिया। 

सेवा से हटाए जाने पर विश्वविद्यालय में स्थापना काल से जुड़े अनियमित कर्मचारियों में याचिकाकर्ता गोविन्द पटेल ने बताया कि इस मामले में सभी 23 कर्मचारियों और उनके परिवारों ने कलेक्टर, कमिश्नर श्रम विभाग और जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाए लेकिन किसी ने भी उन्हें मदद नहीं दी। पिछले लगभग डेढ़ माह से नौकरी छीन जाने से उनके परिवार सड़क पर आ गए हैं। ऐसी गंभीर परिस्थितियों में उन्होंने 9 फरवरी को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन बूढ़ातालाब चौक पर भी दिया

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button