Holi 2023: पर्यावरण बचाने गौशाला की मुहिम, गोबर से बनाए 10 हजार गो-काष्ठ, देशभर में इससे होगा होलिका दहन

आदर्श गौशाला में 10 हजार गो काष्ठ का निर्माण किया है , लेकिन इसके बावजूद भी खरीदने वाले लोगों की इतनी संख्या है कि वह इसकी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। गौशाला पिछले दो वर्षों से पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है।
होली का त्यौहार नजदीक है, ऐसे में इस त्यौहार पर होलिका दहन में सबसे अधिक लकड़ी का उपयोग होता है। लेकिन ग्वालियर में स्थित मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला ने एक ऐसी अनोखी पहल की शुरुआत की है, जिससे हजारों पेड़ बचाए जा रहे हैं। आदर्श गौशाला में गाय के गोबर से बने गो काष्ठ का निर्माण किया जा रहा है और सबसे खास बात यह है कि होलिका दहन के लिए बड़ी संख्या में लोग गो काष्ठ खरीदने के लिए ऑनलाइन बुकिंग कर रहे हैं। इस बार आदर्श गौशाला में 10 हजार गो काष्ठ का निर्माण किया है , लेकिन इसके बावजूद भी खरीदने वाले लोगों की इतनी संख्या है कि वह इसकी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला पिछले दो वर्षों से पर्यावरण को लेकर लोगों को जागरूक कर रही है। यही कारण है कि होली के त्यौहार के समय इस गौशाला में गाय के गोबर से बने गो काष्ठ निर्माण किया जा रहा है और होली के दिन सैकड़ों की संख्या में लोग होलिका दहन करने के लिए गो काष्ठ का सबसे अधिक उपयोग कर रहे हैं। शहरवासी अब होलिका दहन में लकड़ी की बजाए गाय के गोबर से बने गो काष्ठ का सबसे अधिक उपयोग करने लगे हैं और यह पर्यावरण के लिए काफी अच्छी बात है।
मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला में लगभग 5000 से अधिक गाय हैं और यह एक ऐसी आदर्श गौशाला है जो पूरे मध्यप्रदेश में मिसाल बनी हुई है। सबसे सुरक्षित और खानपान की व्यवस्था इस गौशाला में एक उदाहरण के रूप में जानी जाती है। यही कारण है कि होली के त्यौहार के दिन गाय के गोबर से बनी गो काष्ठ का निर्माण इसी गौशाला में होता है। यहां पर मशीन के द्वारा होली के त्यौहार के तीन महीने पहले ही गो काष्ठ का निर्माण शुरू हो जाता है। एक दर्जन से अधिक कर्मचारी यहां मशीन से गाय के गोबर से गौ काष्ठ का निर्माण करते हैं और होली के त्यौहार के दिन यहां पर ऑनलाइन बुकिंग होती है। उसके बाद लोग यहां से होलिका दहन के लिए गो काष्ठ ले जाते हैं।