छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव : वाइडनर स्कूल को मिली गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देने की छुट, भड़के पालक


राजनांदगांव। शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत प्रत्येक प्रायवेट स्कूलों को अपने स्कूलों के एंट्री क्लास में 25 प्रतिशत सीट गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है, लेकिन कई नामी प्रायवेट स्कूल जो अपने स्कूलों में गरीब बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते वे विगत बारह वर्षो से अनेक प्रकार की आनाकानी कर रहे है। कई स्कूल कम सीटें की जानकारी देते है तो कई स्कूल अपने आप को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था बताकर गरीब बच्चों को अपने स्कूल में आरटीई कानून के अंतर्गत प्रवेश देने से इंकार कर देते है, जबकि शिक्षा का अधिकार कानून संशोधन 2012 की धारा 1(4) में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि घोषित अल्पसंख्यक स्कूलों को भी अपने स्कूलों में आरटीई कानून के अंतर्गत गरीब बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है।
कुछ वर्ष पूर्व भी वाइडनर स्कूल के द्वारा अपने आप को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था बताकर आरटीई कानून के अंतर्गत गरीब बच्चों को प्रवेश देने से इंकार कर दिया था तो छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन में इस विरोध किया और तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूल को सख्त निर्देशित किया था कि स्कूल को घोषित अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था का दर्जा राज्य सरकार से प्राप्त नहीं है, इसलिए उन्हें आरटीई कानून के अंतर्गत अपने स्कूल के एंट्री क्लास में गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीट आरक्षित करना पड़ेगा और स्कूल को गरीब बच्चों को अपने स्कूल में प्रवेश देना पड़ा था, लेकिन पुनः वाइडनर स्कूल अपने आप को अल्पसंख्यक शैक्षणिक स्कूल बताकर आरटीई के अंतर्गत गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देने की छुट नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी से प्राप्त कर स्कूल का नाम आरटीई पोर्टल से हटा दिया गया।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने पुनः नवपदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी को कानून और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की कॉपी देकर वाइडनर स्कूल में गरीब बच्चों को प्रवेश देने की मांग की गई है। श्री पॉल का कहना है कि आरटीई कानून के अंतर्गत प्रत्येक प्रायवेट स्कूल को अपने स्कूल के एंट्री क्लास में 25 प्रतिशत सीट पर गरीब बच्चों को प्रवेश देना ही होगा, इसके लिए किसी प्रायवेट स्कूल को छुट प्राप्त नहीं है, क्योंकि आरटीई कानून संशोधन 2012 की धारा 1 की उपधारा 4 में इसका उल्लेख है।
श्री पॉल ने बताया कि वाइडनर स्कूल को शिक्षा एवं प्रसार समिति संचालित कर रही है और इस संस्था के पंजीकृत विधान में यह कहीं नहीं लिखा है कि यह संस्था अल्पसंख्यक समुदाय के हितों के उत्थान और उस समुदाय को प्रोत्सहित करने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के अंतर्गत स्थापित किया गया है और ना ही इस स्कूल में 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे अल्पसंख्यक समुदाय के पढ़ रहे है, लेकिन इसके बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी ने इस स्कूल का नाम आरटीई पोर्टल से हट कर उन्हें अपने स्कूल में गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देने की छुट दी है, जो उचित नहीं है।

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