छत्तीसगढ़महासमुन्द जिला

महासमुंद : आधुनिक कृषि से जोड़ने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र ने पाँच गांवों में शुरू किया उन्नत कृषि कार्यक्रम

महासमुंद,राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, रायपुर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, महासमुन्द के संयुक्त तत्वाधान में बायोटेक किसान परियोजना का संचालन कोविड-19 के प्रावधानों का पालन करते हुए जिले में शुरू किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र, महासमुन्द द्वारा कृषि कार्य को उत्कृष्ट बनाने और किसानों की आर्थिक स्थिति को सबल बनाने की पहल की जा रही है। इसके तहत् किसानों को प्रभावशील ढंग से किसानी कार्य करने के लिए प्रशिक्षण एवं तकनीकी जानकारी दी जा रही है। इसके साथ ही किसानों की समस्याओं का समाधान भी कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है। राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, बरोंडा, रायपुर द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र, में डीबीटी बायोटेक किसान परियोजना का संचालन डॉ. एस. के. वर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, कृषि विज्ञान केन्द्र, महासमुन्द के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। इस परियोजना में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जिले के महासमुन्द ब्लॉक में पांच गांव का चयन किया गया है। इसमें साराडीह, बिरकोनी, बरबसपुर, परसवानी एवं अछोला शामिल है। इन पांचों ग्रामों के पचास किसानों का चयन कर इन्हें उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण व तकनीकि जानकारी प्रदान किया जा रहा है।कृषि विज्ञान केन्द्र महासमुंद के अधिकारियों ने बताया कि इस परियोजना में धान की जिंको राइस किस्म किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें जिंक की प्रचुर मात्रा (26-28 पी.पी.एम.) उपस्थित है, जबकि अन्य किस्मों में जिंक बहुत कम मात्रा (15 पी.पी.एम.) तक पाई जाती है साथ ही किसानों को धान फसल की मेंढ़ पर लगाने के लिए अरहर बीज एवं धान फसल हेतु खरपतवार नाशक भी उपलब्ध कराए जा रहे है। जिंक मानव शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जिससे मानव शरीर अनेक प्रकार के संक्रमण से बच सकता है। जिंक की उचित मात्रा का सेवन करने से मौसमी बुखार, सर्दी, खाँसी आदि संक्रमण से बचा जा सकता है। यह किस्म 125-130 दिन में पक जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल उपज देती है। इस किस्म के धान को लगाने से किसानों को प्रति एकड़ 50 से 60 हजार रूपए. तक शुद्ध लाभ हो सकता है। किसानों को जैविक तरीके से बीजोपचार स्यूडोमोनास-फ्यरोसेंस द्वारा बताया एवं कराया गया है। चयनित ग्रामों में निरंतर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निरीक्षण कर किसानों को खेती में होने वाली समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत किसानों को धान की बुवाई जानकारी से अवगत कराया जा रहा है साथ ही चयनित ग्राम के किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली जैसे फसल उत्पादन के साथ बागवानी एवं मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। कृषि विज्ञान केंद्र, महासमुंद के कृषि वैज्ञानिक  एच. एस. तोमर, श्री कुणाल चन्द्राकर, श्री साकेत दुबे, इंजीनियर रवीश केशरी, कमलकांत लोधी एवं डॉ. देवेंद्र कुमार साहू द्वारा परियोजना का संचालन डॉ. एस. के. वर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख के नेतृत्व में किया जा रहा है।

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