राजनांदगांव : सुंदरा डेंटल कॉलेज में करंट से राज मिस्त्री की मौत,दिनभर डटे रहे अधिकारी, श्रम विभाग बनाएगा रिपोर्ट – शव रखकर हंगामा, समझाइश के बाद सड़क से हटे
राजनांदगांव। ग्राम सुंदरा स्थित डेंटल कॉलेज में काम करने के दौरान राज मिस्त्री करंट की चपेट में आ गया. इस हादसे में उसकी मौत हो गई. घटना होने के बाद वहां हड़कंप मच गया और अन्य मजदूरों में गुस्सा पनप गया. देखते ही देखते मृतक मिस्त्री के परिजन भी मौके पर पहुंच गए. इसके बाद वहां जमकर हंगामा मचा. सुरक्षा इंतजाम और मुआवजा की मांग को लेकर नारेबाजी की गई.
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंच गई. बताया गया कि डेंटल कॉलेज के कैंपस में भवन निर्माण का काम चल रहा है. वहां 40 से 50 लेबर काम पर लगे थे. दोपहर तकरीबन 12 बजे ठाकुरटोला निवासी विशेष ठाकुर प्लास्टर करते समय बिजली के तार की चपेट में आ गया. इससे उसकी मौत हो गई. हादसे के बाद वहां हंगामा मचना शुरू हो गया.
मजदूरों और परिजनों के साथ गांव के लोग भी वहां पहुंच गए. वे हाइवे जाम करने जा रहे थे, लेकिन अधिकारियों की समझाइश के बाद वे रूक गए लेकिन कॉलेज के गेट पर हंगामा करते रहे.
सूचना मिलते ही एसडीएम अरूण वर्मा, प्रफुल्ल गुप्ता, नगर पुलिस अधीक्षक अमित पटेल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने कालेज प्रबंधन के लोगों को भी बुलाया और चर्चा की. इसके बाद प्रबंधन की ओर से मृतक के परिजनों को आर्थिक मदद दी गई. वहीं श्रम विभाग के अधिकारियों ने भी सप्ताहभर के भीतर एक लाख रुपए स्वीकृत करने की बात कही. इसके बाद ग्रामीण और परिजना शांत हुए. मौत के बाद ग्रामीणों ने काफी नाराजगी भी जाहिर की थी.
तहसीलदार प्रफुल्ल गुप्ता ने बताया कि बिजली विभाग की टीम भी वहां जांच कर रही है. प्रबंधन की ओर से भी आर्थिक सहायता दी गई है. इसके अलावा श्रम विभाग भी मौके का मुआयना कर चुकी है. वह भी रिपोर्ट बना रही है. मृतक यदि पात्रता में आएगा तो उसके परिजनों को चार लाख रुपए की अतिरिक्त सहायता मिलेगी. इसके बाद अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है.
इस तरह के हादसे आए दिन सामने आते रहते हैं. इनके पीछे सबसे बड़ी वजह सुरक्ष इंतजामों की कमी ही रहती है. चाहे कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की बात हो या फिर किसी अन्य संस्थानों के श्रमिकों की. यहां उनकी सुरक्षा को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता. इस कारण ऐसे हादसों में मजदूरों को जान गंवानी पड़ती है. इसके विपरित संस्थानों पर कोई सख्ती नहीं बरती जाती.