हाईकोर्ट का फैसला, निजी स्कूल ले सकेंगे ट्यूशन फीस,किसी भी स्टॉफ को नौकरी से नहीं निकाला जाए
बिलासपुर हाईकोर्ट ने स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की इजाजत दे दी है, लेकिन इसके साथ यह भी स्पष्ट किया है कि ट्यूशन फीस के अलावा अन्य कोई भी फीस नहीं ली जा सकेगी। राजधानी के पालकों को इस फैसले से बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अधिकतर बड़े स्कूलों में ट्यूशन फीस कुल फीस का 20 से 30 प्रतिशत ही है। ट्यूशन फीस के जितनी ही राशि बड़े स्कूल परिवहन शुल्क के रूप में लेते हैं। इसके अलावा इस वर्ष वार्षिक शुल्क और गतिविधि शुल्क के नाम पर लिए जाने वाले हजारों की राशि से भी पालकों को राहत मिलेगी। हालांकि छोटे स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों के पालकों के लिए यह फैसला अधिक राहत भरा नहीं है, क्योंकि वहां की अधिकतर राशि ट्यूशन फीस की ही होती है।
बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने अपने वकील के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर लोक शिक्षण संचालनालय के एक अप्रैल 2020 को जारी आदेश को चुनौती दी थी। संचालनालय ने एक आदेश जारी कर कोरोना संक्रमण को देखते हुए फीस की वसूली पर रोक लगा दी थी। साथ ही यह भी हिदायत दी थी कि दबावपूर्वक फीस वसूलने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में हुई । प्रकरण की सुनवाई के बाद जस्टिस कोशी ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। जस्टिस कोशी ने निजी स्कूल प्रबंधन को ट्यूशन फीस वसूलने की अनुमति तो दे दी है लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करने कहा है कि आर्थिक संकट के कारण जो अभिभावक फीस जमा नहीं कर सकते हैं उनको छूट दी जाए।इसके लिए अभिभावकों को आवेदन देना होगा। उनके आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि फीस में कोई बढ़ोतरी न की जाए और किसी भी स्टॉफ को नौकरी से नहीं निकाला जाए। सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई का लाभ देने के निर्देश भी दिए हैं। प्रदेशभर के 22 निजी स्कूलों के संचालकों के संगठन बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से राज्य शासन के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हाई कोर्ट ने जारी किया 14 पेज का विस्तृत आदेश
जस्टिस पी सैम कोशी ने 14 पेज का विस्तृत आदेश जारी किया है। इसमें स्कूल प्रबंधकों को ट्यूशन फीस लेने की अनुमति तो दी है साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि इस दौरान किसी भी स्टाफ को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा।उन्हें नियमित रूप से वेतन भी दिया जाएगा। बकाया और वर्तमान ट्यूशन फीस के अलावा कोई दूसरी फीस भी वे नहीं ले सकेंगे। साथ ही फीस में इस दौरान वृद्घि भी नहीं कर सकेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो अभिभावक वास्तविक आर्थिक संकट के कारण फीस पटाने में सक्षम नहीं है उन्हें फीस से छूट दी जाए। इसके लिए स्कूल प्रबंधन को मापदंड तय करना चाहिए। अभिभावकों को व्यक्तिगत रूप से स्कूल प्रबंधक के सामने उपस्थित होना पड़ेगा और अपनी आय का विवरण देकर बताना होगा कि वे इस समय फीस देने में सक्षम नहीं हैं।