राजनांदगांव जिला

निर्माण कार्याें के नाम पर 35 लाख का फर्जीवाड़ा, सरपंच-सचिव ने मिलकर फर्जीवाड़ा को दिया अंजाम

0 जांच में खुली पोल, कार्रवाई शून्य

राजनांदगांव। ग्राम पंचायत भर्रेगांव में विभिन्न निर्माण कार्याें के नाम पर 35 लाख का फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। इसके बाद भी मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय हाथ में हाथ धरे बैठे हुए हैं। कार्रवाई नहीं होने से नाराज ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सरपंच, पंचायत सचिव व उपयंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है। बता दें कि तीन माह पहले ग्रामीणों ने 19 बिंदुओं पर जांच की मांग को लेकर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिपं सीइओ ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की। टीम में ग्रामीण स्वास्थ्य यांत्रिकीय सेवा राजनांदगांव के अनुविभागीय अधिकारी बीआर बघेल, जिपं पंचायत के सहायक संचालक गोपाल सिंह कंवर व जिपं के अंकेक्षक सीएल चंद्राकर को शामिल किया गया। गठित टीम पंचायत पहुंचकर निर्माण कार्याें का जायजा लिया। वहीं आवेदक नरेंद्र कुमार चंद्राकर, अनावेदक सरपंच एकता चंद्राकर, सचिव वेनिता सिन्हा व उपयंत्री का बयान दर्ज किया।

0 आंख मूंद किया निर्माण कार्याें का सत्यापन

सरपंच, सचिव ने मिलीभगत कर बिना निर्माण कार्याें के लाखों रुपये का भुगतान कर दिया। ध्रुव गली में नाली निर्माण कार्य नहीं पाया गया, पोषण पंच के वार्ड में नाली निर्माण में एक लाख 60 हजार रुपये खर्च होने की जानकारी दी गई है। जब टीम ने पोषण पंच वार्ड में नाली निर्माण का मूल्यांकन किया तो 72 हजार रुपये पाया गया। पंचायत ने संबंधित ठेकेदार को 88 हजार अधिक भुगतान कर दिया। घनश्याम गली में नाली निर्माण के लिए 70 हजार रुपये अधिक भुगतान किया गया है। घनश्याम होटल से पानी टंकी की नाली का मरम्मत किया जाना था। मरम्मत में करीब 71 हजार रुपये खर्च हुए है। जबकि ठेकेदार को एक लाख 70 हजार रुपये का भुगतान हुआ है। पंचायत भवन छत रिपेयरिंग, व्यवसायिक परिसर छत रिपेयरिंय के नाम पर अधिक भुगतान कर फर्जीवाड़ा किया गया है। सरपंच, सचिव व उपयंत्री ने ठेकेदार को लाभ पहुंचाने की मंशा से 35.996 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया है।  

0 जांच टीम ने माना दोषी, फिर भी कार्रवाई नहीं

तीन सदस्यीय जांच टीम ने मामले में सरपंच, पंचायत सचिव व उपयंत्री को दोषी माना है। इसके बाद भी कार्रवाई शून्य है। विभागीय अधिकारियों ने कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साध ली है। कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों में आक्रोश देखा जा रहा है। जांच टीम ने माना है कि कई निर्माण कार्याें में अधिक राशि का भुगतान किया गया है। इसके लिए सरपंच, सचिव व उपयंत्री जिम्मेदार है। निर्माण कार्याें में स्वच्छ भारत मिशन मद की राशि का विपरित तरीके से खर्च व भुगतान किया गया है। विभागीय अधिकारियों ने आंख मूूंदकर निर्माण कार्याें का सत्यापन व भुगतान कर दिया, जो बड़ी लापरवाही को दर्शाता है। स्वच्छ भारत मिशन मद से पंचायतों को प्राप्त राशि का उपयोग व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक शौचालय निर्माण, मरम्मत तथा जल भराव वाले स्थानों के पटाव कार्य कर स्वच्छता बनाए रखे जैसे कार्य कराए जाने थे। लेकिन सरपंच, सचिव ने ठेकेदार को लाख पहुंचाने मद की राशि विपरित कार्याें में लगाकर फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया। पंचायत के अंतर्गत होने वाले निर्माण कार्याें के लिए सरपंच, सचिव व उपयंत्री ने उच्च कार्यालय से स्वीकृति भी नहीं ली थी। बिना स्वीकृति के निर्माण कार्याें कर लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया।

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