प्रदेश में खुले बोरवेल पर हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, ‘सरकार बच्चों की मौत जैसे संवेदनशील मामले में भी लापरवाह’

भोपाल

 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने खुले बोरवेल को साइलेंट किलर बताते हुए राज्य सरकार की ड्राफ्ट पालिसी को लेकर जमकर खिंचाई की है. इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार साइलेंट किलर बोरवेल में गिरने से बच्चों की मौत जैसे संवेदनशील मामले में भी लापरवाही बरत रही है. इतने गंभीर मामले में इससे पहले इस तरह की असंतोषजनक ड्राफ्ट पॉलिसी पहले कभी नहीं देखी गई. यह रवैया बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने को सुनवाई के दौरान ड्राफ्ट तैयार करने वाले अधिकारी का नाम 24 घंटे के भीतर बताने के निर्देश दिए. महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने सरकार की ओर से उपस्थित होकर खेद व्यक्त किया. साथ ही नई ड्राफ्ट पॉलिसी पेश करने के लिए दो सप्ताह की मोहलत देने का आग्रह किया.

दो हफ्ते पेश करना होगा ड्राफ्ट
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि यह ड्राफ्ट पॉलिसी मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से जारी हुई है. इस बीच मामले में कोर्ट के सहयोग के लिए नियुक्त कोर्ट मित्र अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने सुझाव दिया कि यदि कोर्ट अनुमति दे तो वह अपने स्तर पर अपेक्षाकृत बेहतर ड्राफ्ट पॉलिसी पेश कर सकते हैं. यह सुनने के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन और कोर्ट मित्र को दो सप्ताह के भीतर अपनी-अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी पेश करने की जिम्मेदारी सौंप दी.

सूचना आयुक्त के रिक्त पद पर सरकार से मांगा जवाब
इसी तरह मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित सूचना आयुक्त के सभी पद रिक्त होने के लेकर दायर याचिका पर भी शुक्रवार को सुनवाई हुई.चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नियुक्ति के संबंध में जवाब पेश करने के लिए 4 सप्ताह की मोहलत दी है. लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित कुल 10 पद स्वीकृत हैं.

याचिका में बताया गया कि सितंबर 2023 में केवल तीन पद भरे थे, जो मार्च 2024 में खाली हो गए. दलील दी गई कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत द्वितीय अपीलों का निपटारा करने हेतु 180 दिन की समयसीमा निर्धारित है. सूचना आयुक्तों की कमी के चलते राज्य सूचना आयोग में 10,000 से ज्यादा अपील और शिकायतें लंबे समय से लंबित हैं.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मार्च 2024 में मुख्य सूचना आयुक्त के साथ शेष बचे सूचना आयुक्त के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद आयोग का काम ठप हो गया है. वहीं राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता ब्रह्म दत्त सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा सूचना आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था. सरकार को 185 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिन पर आगे की कार्रवाई की जा रही है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्ते का समय देते हुए पूरे मामले में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

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