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पाकिस्तान में दवाओं की किल्लत:खजाना खाली हुआ तो भारत से इम्पोर्ट भी बंद, लाइफ सेविंग ड्रग्स तक मौजूद नहीं

पाकिस्तान में लाइफ सेविंग ड्रग्स यानी जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी हो गई है। हालात ये हो गए हैं कि डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन तक मिलना दुश्वार हो गया है। दरअसल, सरकार के खजाने में सिर्फ 6.7 अरब डॉलर हैं और इन्हें भी वो खर्च नहीं कर सकती, क्योंकि ये पैसा दूसरे देशों ने बतौर गारंटी डिपॉजिट कराया है। यही वजह है कि भारत समेत दूसरे देशों से रॉ मटैरियल या रेडीमेड मेडिसिन की खरीद नहीं हो पा रही।मुल्क में जो दवाएं मौजूद हैं, उनकी एक तरह से ब्लैक मार्केटिंग हो रही है। 40 रुपए की टेबलेट स्ट्रिप अब दोगुनी कीमत पर बिक रही है। फार्मा सेक्टर का कहना है कि अगर जल्द ही मेडिसिन इम्पोर्ट शुरू नहीं किया गया तो हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं।कालाबाजारी ने बिगाड़े हालात‘डेली एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, फार्मास्युटिकल कंपनीज ने दवाओं की कीमत बढ़ा दी है। इसकी वजह यह है कि बहुत कम दवाएं पाकिस्तान में बनती हैं। इनका भी रॉ मटैरियल भारत, चीन और अमेरिका से आता है। सरकार का खजाना खाली है, इसलिए लाइन ऑफ क्रेडिट (इम्पोर्ट के लिए फंड) भी नहीं मिल रही है। इसकी वजह से दवाओं की शॉर्टेज बेहद तेजी से बढ़ रही है।रिपोर्ट के मुताबिक, दवाओं की किल्लत की सबसे बड़ी वजह कालाबाजारी है। कई कंपनियां ज्यादा प्रॉफिट के लिए मेडिसिन का स्टॉक कर रही हैं। इसकी वजह से आम आदमी तक जरूरी दवाएं भी नहीं पहुंच पा रहीं हैं।पाकिस्तान में ज्यादातर मेडिसिन भारत और चीन से इम्पोर्ट की जाती हैं। डॉलर की कमी की वजह से अब आयात करीब-करीब बंद हो गया है।पाकिस्तान में ज्यादातर मेडिसिन भारत और चीन से इम्पोर्ट की जाती हैं। डॉलर की कमी की वजह से अब आयात करीब-करीब बंद हो गया है।विदेशी कंपनियों ने मुल्क छोड़ाइसी रिपोर्ट में एक जरूरी फैक्ट बताया गया है। इसके मुताबिक- कई फॉरेन फार्मास्युटिकल कंपनियों ने पाकिस्तान या तो छोड़ दिया है या छोड़ने की तैयारी कर रही हैं। इसकी बड़ी मुनाफे में कमी है। ड्रग प्राइस एंड क्वॉलिटी मॉनिटरिंग एजेंसी (DRAP) को सलाह दी जा रही है कि वो फौरन नकली या घटिया स्तर की दवाओं की बिक्री रोके और अच्छी क्वॉलिटी की दवाओं की कीमत काबू में रखे।रिपोर्ट के मुताबिक, डॉलर की कमी की वजह से भारत, चीन, अमेरिका और यूरोप से रॉ मटैरियल और रेडीमेड मेडिसिन इम्पोर्ट नहीं हो पा रही हैं। उर्दू अखबार ‘नवा-ए-वक्त’ के मुताबिक- फार्मा सेक्टर से जुड़े लोग मान रहे हैं कि अगर इम्पोर्ट जल्द शुरू नहीं किया गया तो मौजूदा दवाओं के दाम कई गुना बढ़ सकते हैं।सरकार को वॉर्निंगनेशनल हेल्थ सर्विस ने फाइनेंस मिनिस्ट्री और ड्रग अथॉरिटीज को साफ तौर पर बता दिया है कि उसके पास रॉ मटैरियल खरीदने के लिए जरूरी डॉलर नहीं हैं। लिहाजा, हेल्थ मिनिस्ट्री को इस बारे में सख्त कदम उठाने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो अवाम के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।दिक्कत यह है कि पाकिस्तान की फार्मा इंडस्ट्री 95% इम्पोर्ट पर डिपेंड है। पाकिस्तान में भी जो दवाएं बनती हैं, उनका रॉ मटैरियल इम्पोर्ट किया जाता है। जाहिर है, अगर जल्द इम्पोर्ट शुरू नहीं हुआ तो बहुत बड़ा मानवीय संकट पैदा हो जाएगा।दो महीने पहले तक पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर रहे मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि पाकिस्तान अब किसी भी वक्त डिफॉल्टर घोषित हो सकता है। एक टीवी शो के दौरान उन्होंने कहा- इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF हमें नए कर्ज की किश्त देने तैयार नहीं है। इमरान खान के दौर में हमारी इकोनॉमी की जो तबाही शुरू हुई, उससे हम उबर ही नहीं सके।शाहबाज शरीफ सरकार के पहले वित्त मंत्री इस्माइल को सच बोलने वाला नेता माना जाता है। यही वजह है कि उनकी जगह इशहाक डार को फाइनेंस मिनिस्टर बनाया गया। वो तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। आईएमएफ को धमकी दे रहे हैं। डार को उम्मीद है कि चीन और सऊदी अरब मिलकर पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा लेंगे।मुश्किल में दूर हुए दोस्तपाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व है। इससे तीन हफ्ते के ही इम्पोर्ट्स किए जा सकते हैं। पुराने कर्ज की किश्तें भी नहीं भरी जा सकतीं। फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने नवंबर में कहा था कि चीन और सऊदी अरब पाकिस्तान को बहुत जल्द 13 अरब डॉलर का नया कर्ज देंगे। यह अब तक नहीं मिला और दोनों देश चुप हैं।दूसरी तरफ, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने भी कर्ज की तीसरी किश्त रोक दी है। ऐसे में अब जनवरी से मार्च के पहले क्वॉर्टर में विदेशी कर्ज चुकाने और इम्पोर्ट के लिए फंड्स कहां से आएंगे, इस पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है।चीन ने साथ छोड़ापाकिस्तान के अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- फाइनेंस मिनिस्टर भले ही सऊदी अरब और चीन से 13 अरब डॉलर के नए लोन मिलने का दावा कर रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और है। नवंबर की शुरुआत में दोनों देशों से बातचीत हुई थी और अब तक इनकी तरफ से कोई पैसा मिलना तो दूर, वादा भी नहीं किया गया।रिपोर्ट के मुताबिक, चीन तो एक कदम आगे निकल गया है। उसने पाकिस्तान से 1.3 अरब डॉलर की किश्त मांग ली। पाकिस्तान सरकार ने चीन की इस हरकत पर अब तक कुछ नहीं कहा है। डार अब दावा कर रहे हैं कि सऊदी अरब से बातचीत जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही वहां से 3 अरब डॉलर मिल जाएंगे। दूसरी तरफ, सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है।पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार या फॉरेक्स रिजर्व हैं। इसमें 2.5 अरब डॉलर सऊदी अरब, 1.5 अरब डॉलर UAE और 2 अरब डॉलर चीन के हैं। ये फंड्स सिक्योरिटी डिपॉजिट हैं यानी शाहबाज शरीफ सरकार इन्हें खर्च नहीं कर सकती। दूसरी बात, सऊदी और UAE 36 घंटे के नोटिस पर ये पैसा वापस ले सकती है। 2019 में भी पाकिस्तान का फॉरेन रिजर्व इतना ही था।IMF ने 1.7 अरब डॉलर के कर्ज की तीसरी किश्त जारी करने से पिछले महीने ही इनकार कर दिया था। वो पाकिस्तान से शर्तों के मुताबिक, रेवेन्यू बढ़ाने और खर्च कम करने को कह रहा है।8 दिसंबर को पाकिस्तान ने सऊदी को लेटर लिखा और जल्द से जल्द 3 अरब डॉलर कर्ज देने की गुहार लगाई। जनवरी में ही पाकिस्तान को 8.8 अरब डॉलर की किश्तें चुकानी हैं। जाहिर है एक तरफ तो वो 6.7 अरब डॉलर का रिजर्व खाली नहीं कर सकता। दूसरी तरफ, दूसरे देशों या संगठनों से उसे मदद नहीं मिल रही।डार ने नवंबर में कहा था- चीन और सऊदी अरब से हमें 13 अरब डॉलर का फाइनेंशियल पैकेज मिलने जा रहा है। इसमें से 5.7 अरब डॉलर फ्रेश लोन्स हैं। चीन से 8.8 और सऊदी से 4.2 अरब डॉलर मिलेंगे

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