किसान सड़क पर उतरे तब जागे अफसर, खाद गोदामों में दी दबिश
खाद के संकट से जूझ रहे किसानों ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट के गेट के सामने धरना दिया। अन्नदाताओं ने आरोप लगाया कि अफसरों की शह पर जिले में खाद की कालाबाजारी हो रही है और निर्धारित दर से अधिक में बिक्री कर रहे हैं। सोसाइटियों में भी खाद नहीं मिलने से खेती कार्य पिछड़ रहा है। किसानों ने अफसरों से खाद उपलब्ध कराने की मांग की तो स्टॉक नहीं होने का हवाला दिया गया।
इससे नाराज किसानों ने गेट के सामने बैठ कर धरना शुरू किया तब जाकर अफसरों ने जांच कमेटी बनाई और किसानों के साथ ही शहर के निजी खाद गोदामों में दबिश दी। पहले जिस फर्म में दबिश दी गई, उसके संचालक ने बताया था कि खाद का स्टॉक ही नहीं है। जब टीम पहुंची तो गोदाम में 10 से 12 बोरी खाद का स्टॉक पाया गया। इसे अफसरों की मौजूदगी में ही किसानों को निर्धारित दर पर उपलब्ध कराया गया। इसी तरह शहर के दूसरे गोदाम में पहुंचे तो वहां खाद का स्टॉक ही नहीं था।
स्टॉक नहीं कहकर लौटाया
जिला किसान संघ के प्रमुख सुदेश टीकम ने बताया कि किसान चार सूत्रीय मांग को लेकर ज्ञापन सौंपने गए थे। ज्ञापन सौंपने के बाद खाद की समस्या दूर करने की मांग करते हुए कृषि विभाग के अफसर से मुलाकात की। उक्त अफसर ने शहर के कुछ दुकानों में खाद की उपलब्धता पूछी तो बताया कि खाद है पर जब किसान को उक्त दुकान में भेजा गया तो स्टॉक नहीं है कहकर लौटा दिया। किसानों को उलझन में डालने वाली स्थिति है।
चार सूत्रीय मांग भी रखी
इस मसले को लेकर कलेक्टर से मुलाकात करना चाह रहे थे पर वे नहीं थे। इसलिए मजबूर होकर धरना देना पड़ा। टीकम ने बताया कि अफसरों ने तत्काल जांच टीम बनाकर दुकानों में दबिश दी तब जाकर किसान शांत हुए। टीकम ने बताया कि ज्ञापन में जिले को सूखा घोषित करने, राहत सर्वेक्षण शुरू कराने, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से राशि उपलब्ध कराने की मांग रखी गई है।