यात्री ट्रेन सेवा बहाल करने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को हिन्दू युवा मंच ने लिखा पत्र
० समस्त यात्री सुविधाओं को पूर्व की भांति यथावत रखने की माँग की
० स्पेशल ट्रेन के नाम पर छीनी गई थी सुविधाएं
० सीनियर सिटीजन, दिव्यांगों और बच्चों को दी गई रियायत भी छीन ली गई
० दैनिक यात्रियों को एमएसटी सेवा फिर से शुरू करने भी की मांग
राजनांदगांव। हिन्दू युवा मँच जिला इकाई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को पत्र लिखकर देशभर में ट्रेन सेवा के ठप्प पड़ने से यात्रियों को आये दिन हो रही परेशानियों से अवगत कराते हुए ट्रेन सेवा पुनः बहाल करने और यात्री सुविधाओं को पहले की तरह यथावत रखने की मांग की है।
उक्ताशय की जानकारी देते हुए हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी ने बताया कि, एक तरफ जहां पूरा देश अनलॉक हो चुका है। सभी कल कारखाने, शॉपिंग मॉल, बाजार, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर और मंडियां पूरी तरह खुल चुकी हैं। उस पर यह सवाल बार-बार खड़े हो रहें है कि, आखिर यात्री ट्रेनों का परिचालन बँद क्यों है? देशभर में कुल 12617 ट्रेन चलती है जिनमें से 35 फीसदी ट्रेन आज भी पटरी पर नहीं है। ये ट्रेने पूरी तरह से कब तक चलाई जाएंगी, इसे बताने भी कोई तैयार नही है। इन सभी ट्रेनों का परिचालन गत 22 मार्च 2020 से बँद है। वैश्विक आपदा कोरोना महामारी का अनुचित लाभ उठाते हुए रेलवे ने आपदा को अवसर में बदल दिया है। एक तरफ जहां रेलवे द्वारा यात्री ट्रेनों को आंशिक रूप से बंद कर केवल मात्र मालगाड़ी का परिचालन किया जा रहा है। उससे कोरोना महामारी की आड़ में आपदा को अवसर में बदलने की रेलवे की मंशा समझ में आ रही है। गिनती की जो ट्रेनें चल भी रही है, उसमें भी सीटें खाली होने के बावजूद सीटें फूल बताई जा रही है। वहीं यात्री किराया इतना ज्यादा वसूला जा रहा है मानो पूरे सदी के रेल घाटे की भरपाई एक साल में ही करने की रेलवे की तैयारी हो। सर्वविदित है कि, यात्री ट्रेनों से कहीं अधिक मुनाफा रेलवे को मालगाड़ी से प्राप्त होता है। इसलिए भी रेलवे नहीं चाहता कि, पूर्व की भाँति पूरी ट्रेनों का परिचालन हो और गिनती की जो ट्रेनें चल रही है। उन्हें स्पेशल ट्रेनों के नाम पर मनमाफिक भाड़े पर चलाया जा रहा है, जो कि, आम आदमी के लिए कहीं से भी राहत की खबर नहीं मानी जा सकती। रेलवे एक दूसरे तरीके से भी लोगो की जनभावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है। पुराने टाईम-टेबल की सभी नियमित ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन का तमगा देकर देश के नागरिकों, के साथ लगातार छलावा कर रहा है। इससे फैसले से वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों को मिलने वाली सुविधाओं से भी उन्हें वंचित कर दिया गया है। यही नहीं इसके साथ मिलने वाली लगभग 50 प्रकार की रेल सुविधाओं को स्पेशल ट्रेन के नाम से योजनाबद्ध तरीके से और षड्यंत्र करके खत्म कर दिया गया है। उपरोक्त फैसला लोकहित के कल्याणकारी नहीं माना जा सकता। क्योंकि स्पेशल ट्रेनों में रियायत की कोई गुंजाइश नहीं होती। पूरा किराया देने के उपरांत ही टिकट की बुकिंग होती है। मंथली सीजनल टिकट (एमएसटी) भी बंद कर दिए गए। ईधर ऑनलाईन टिकट बुकिंग के नाम पर प्राईवेट टिकट बुकिंग वालों की रोज चांदी हो रही है, और इन सब की मार पूरे देशवासियों को झेलनी पड़ रही है। रेलवे की मनमानी की अगर बात करे तो रेलवे यहां भी बाज नहीं आ रहा है। कोरोना संक्रमण का हवाला देकर यात्रियों को ट्रेनों में मिलने वाली तमाम सुविधाएं जैसे भोजन, पेयजल, कंबल, चादर, तकिया और तौलिया देना बंद कर दिया है। तौलिये को यात्री चाहे तो घर भी ले जा सकता था। प्रत्येक तौलिये के हिसाब से भी इनके लाखों रुपये बच रहे हैं। बिना कोई सुविधा दिए ही रेलवे लगातार टिकट भाड़े में वृद्धि करते जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण आर्थिक रूप से जूझ रहे करोड़ो भारतवासियों के लिए जहां रेल किराया कम कर सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए थी। वहां इसके उलट रेल किराए में बेतहाशा वृद्धि की जा रही है और जो सुविधाएँ यात्रियों को मिलती थी वो छीनी जा रही है। जो कि, करोड़ों भारतवासियों के साथ कुठाराघात और घोर अन्याय के समान है। देश के तमाम नागरिकों को होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यात्री ट्रेनों का परिचालन शत-प्रतिशत करने, यात्री सुविधाएं पहले की तरह यथावत रखने और रेल किराए में कोरोना की आड़ में किये गए बेतहाशा वृद्धि को पहले की तरह सामान्य कर करोड़ों देशवासियों को राहत पहुंचाने की मांग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री अश्विन वैष्णव से आज एक पत्र के माध्यम से की है।