मितान का संदेश : टीबी रोग को हमने हरा दिया, आप भी इससे जीत सकते हैं ऐसे…
० विश्व क्षय दिवस पर टीबी चैंपियंस ने बताई आपबीती
० डॉट्स पद्धति के जरिए पूरा कोर्स लेने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है : डा. मिथलेश चौधरी
राजनांदगांव। टीबी (क्षय) रोग उतना भी गंभीर नहीं है, जितना इसका हौव्वा बना दिया गया है। टीबी रोग के लक्षण मिलने पर मरीज या परिजन घबराने की बजाय इलाज का रास्ता ढूंढें तो इस बीमारी से शीघ्र निजात पाई जा सकती है। टीबी रोग की जांच या इलाज अब दुष्कर भी नहीं बल्कि काफी सुलभ है। जिले के कई शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क जांच और उपचार की सुविधा है, जहां इलाज कराया जा सकता है।
यह संदेश उन चैंपियंस यानि टीबी मितान का है जिन्होंने टीबी रोग को न सिर्फ हराया है, बल्कि टीबी रोग पीड़ित दीगर लोगों को भी जीने की राह दिखा रहे हैं। टीबी उन्मूलन की दिशा में वे जन-जागरुकता के लिए काम कर रहे हैं। हर साल 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार ने साल 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उससे भी पहले यानि 2023 तक छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए क्षय रोगियों को खोजने से लेकर उनका इलाज करने तथा पोषण हेतु उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं।
जिला क्षय अधिकारी डॉ. अल्पना लूनिया ने बतायाः टीबी को समाप्त करने के उद्देश्य से सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों के साथ भी समन्वय स्थापित कर उनका सहयोग लिया जा रहा है, ताकि वहां इलाज कराने वाले लोगों को भी चिन्हित किया जा सके और उन्हें बेहतर इलाज उपलब्ध कराया जा सके। टीबी रोग किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल भी सकता है, लेकिन इसका उपचार भी किया जा सकता है। टीबी के लक्षण प्रतीत होने पर पीड़ित को इलाज कराने के लिए बिना देर किए सामने आना चाहिए, ताकि समुचित इलाज किया जा सके।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. मिथलेश चौधरी ने बतायाः टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, इसलिए इससे घबराने के बजाए सबसे पहले इलाज शुरू कराना चाहिए। डॉट्स पद्धति के जरिए इसका पूरा कोर्स लेने से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में टीबी रोग का निःशुल्क जांच व उपचार किया जाता है। चिकित्सक की सलाह पर निश्चित समयावधि तक दवाइयां लेने से टीबी रोग पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है। जिस किसी को भी टीबी के लक्षण नजर आते हैं तो वह जल्द से जल्द सरकारी अस्पताल में जाकर अपना इलाज करवा सकते हैं। अस्पताल में बलगम की जांच बहुत जल्द तथा मुफ्त की जाती है।
अब मैं पूरी तरह स्वस्थ : विपुल
ग्राम खुटेरी (सोमनी) निवासी 20 वर्षीय विपुल कुमार साहू (परिवर्तित नाम) बताते हैं, टीबी (पल्मोनरी) रोग के लक्षण दिखने तथा जांच में टीबी रोग की पुष्टि होने पर मैं तो सन्न रह गया, लेकिन धैर्य से काम लिया और तत्काल इसकी जांच कराने का निर्णय लिया। 1 अक्टूबर 2020 को मेरा इलाज शुरू हुआ और इस दौरान लगभग छह महीने तक मैंने नियमित रूप से दवाई खाई। वर्तमान में मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। साथ ही टीबी रोग की रोकथाम के लिए अन्य लोगों के बीच जाकर उन्हें अपने स्तर पर जागरुक करने का कार्य कर रहा हूं।
दवा प्रतिरोधी टीबी होने पर दी बीमारी को मात : चिरंजीवी
डोंगरगांव निवासी 23 वर्षीय चिरंजीवी देवांगन (परिवर्तित नाम) बताते हैंए श्लगभग पांच वर्ष पहले मुझमें टीबी के लक्षण मिले थे। जांच कराने पर मैं दवा प्रतिरोधी टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) पीड़ित पाया गया था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और साहस के साथ बिना देर किए अपना उपचार शुरू कराया। 28 मई 2016 को मेरा इलाज शुरू हुआ और इस दौरान लगभग 24 महीने तक मैंने नियमित रूप से दवाई खाई। वर्तमान में मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। इस आप बीती के बाद मैंने अन्य पीड़ितों की भी यथासंभव मदद करने का निर्णय लिया और वर्तमान में मैं टीबी मितान के रूप में कार्य कर रहा हूं, ताकि टीबी के अन्य मरीजों घबराएं नहीं बल्कि रोग का समुचित उपचार करा सकें।
टीबी के प्रमुख लक्षण
टीबी के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह से खांसी आना, भूख कम लगना, वजन कम होना, बलगम में रक्त आना तथा छाती में दर्द होना है। ऐसे व्यक्तियों को तुरंत अपनी बलगम की जांच करवानी चाहिए।