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आरक्षण पर सवाल: नेता प्रतिपक्ष ने कहा- कांग्रेस की नीयत में खोट, SC को 16, EWS को 10% मिलना चाहिए

आरक्षण विधेयक पेश होने के बाद भी आरक्षण का रंग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा अब विपक्ष ने एक नई बहस शुरू कर दी है विपक्ष की मांग है कि अनुसूचित जाति को 16% और आर्थिक रुप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10% तक आरक्षण मिलना चाहिए।शनिवार को इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस लेते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सत्ता पक्ष में जल्दबाजी में आरक्षण बिल पेश किया है ना कोई होमवर्क किया ना कोई तैयारी। विपक्ष की बात को भी नहीं सुना गया बहुमत का दुरुपयोग करते हुए आरक्षण बिल पेश कर दिया गया।

भाजपा ने आरोप लगाया कि, कांग्रेस के ही नेता लगातार आरक्षण के खिलाफ कोर्ट जाते रहे हैं। इसमें कांग्रेस की पूर्व विधायक पदमा मनहर और वरिष्ठ नेता पीआर खूंटे भी शामिल हैं। आदिवासी समाज का आरक्षण छीनने वाले को एक प्रमुख आयोग का अध्यक्ष बनाया। खुद राज्य सरकार में मंत्री कवासी लखमा ने इस बात को स्वीकार किया है। 

अध्ययन दल की रिपोर्ट नहीं की सार्वजनिक
रायपुर भाजपा कार्यालय में शनिवार को मीडिया से नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि, भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस को अपनी हार साफ दिखाई दे रही है। इसके चलते दो महीने से शांत बैठी कांग्रेस ने सरकार ने आनन-फानन में राजनीतिक लाभ लेने के लिए विशेष सत्र बुलाया। जबकि उसने आरक्षण विधेयक को लेकर कोई खास तैयारी तक नहीं की। राज्य सरकार ने अध्ययन दल पटेल कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की, जबकि उसके डाटा के आधार पर संशोधन का दावा किया जा रहा है। 

आरक्षण विधेयक में सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं माना
भाजपा नेता ने कहा कि, विधानसभा में सत्ता पक्ष चर्चा से भागता रहा। विपक्ष को टोकने को लेकर सदन में नेता स्वयं मंत्रियों को उकसाते रहे। इससे स्पष्ट इनकी नीयत खोटी हैं और पीछे के दरवाजे से से ये फिर आरक्षण के खिलाफ खेल करेंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षण विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को भी नहीं माना गया। इससे साफ है कि कांग्रेस किसी वर्ग को आरक्षण देने की हितैषी नहीं है। कांग्रेस की बदनीयती ने हर वर्ग को निराश किया है। प्रमोशन में भी आरक्षण पर रोक लगी। 

जिसने आरक्षण छीना, कांग्रेस ने उसकी ताजपोशी की
उन्होंने कहा कि, कांग्रेस सरकार पहले भी लागू 58 प्रतिशत आरक्षण नहीं बचा सकी। बदनीयती के चलते कोर्ट में वकील तक नहीं भेजे। आरोप लगाया कि पिछड़े वर्ग का आरक्षण रोकने कांग्रेस ने अपने आदमी को भेजा। फिर उसी व्यक्ति की ताजपोशी कर कबीर पीठ का अध्यक्ष बना दिया। ऐसे से ही आदिवासी समाज का आरक्षण छीनने वाले को एक प्रमुख आयोग का अध्यक्ष बनाया। खुद राज्य सरकार में मंत्री कवासी लखमा ने इस बात को स्वीकार किया है। 

जानबूझकर भारत सरकार पर डाल रहे बात
नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने नौवीं अनुसूची में संकल्प भेजे जाने को लेकर भी आपत्ति जताई उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को आरक्षण संबंधी कानून बनाने का पूरा अधिकार है फिर जानबूझकर नवमी अनुसूची का बहाना बनाकर मामला केंद्र सरकार के पास भेजा जा रहा है हर बात को भारत सरकार के पाले में डालना कांग्रेस की राजनीति है इसके बाद राजनीतिक मामला बनाकर इसे लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जाएगी

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