CG : ठाड़’ पानी की छंटा सुहानी, पर्यटकों को खूब भा रहा यह प्राकृतिक झरना
जिले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में कला, साहित्य, संगीत, इतिहास, पुरातत्व और संस्कृत के लिए राज्यभर में चर्चित है। इस जिले में प्राकृतिक संपदा की भी भरमार है। जिले का पश्चिमी अंतिम छोर साल्हेवारा से मध्यप्रदेश की सीमा तक जंगल, पहाड़ और प्राकृतिक जल प्रपात लोगों को आकर्षित करते हैं। कुआं धांस जलप्रपात चोभर, धांस जलप्रपात गोलरडीह मोहगाँव तथा ठाड़पानी जलप्रपात सरईपतेरा यहाँ का प्रमुख आकर्षण का केन्द्र हैं। तहसील मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर सरईपतेरा गाँव के पास स्थित है। आने-जाने के लिए सरईपतेरा तक 14 किमी पक्की सड़क है फिर ठाड़पानी तक 6 किमी की कच्ची सड़क है।
ठाड़पानी का जलप्रपात लगभग 100 फुट की ऊंचाई से गिरता है। ‘ठाड़’ अर्थात सीधा पानी गिरने के कारण इसका नाम ठाड़ पानी पड़ा। पिपराही नाला और केकरापानी जलस्रोत से निकलने वाला पानी बरसाती नाले के रूप में यहाँ बहता है। जिससे यहाँ जलप्रपात का निर्माण होता है।
ठाड़पानी झरने का प्राकृतिक स्वर संगीत पैदा कर हृदय को शांति प्रदान करता है। चारों ओर घने जंगल हैं। झरने का आनंद लेने के लिए बड़ी सावधानी से नीचे उतरना पड़ता है। ऊपर से नीचे झरझर झरता झरना पाताल लोक की अनुभूति कराता है। ऊपर भाग में एक प्राकृतिक गुफा है जहां कंटीले पंख वाले सैंया कुकरी (साही) मिलते हैं।
ठाड़पानी जलप्रपात से झरने वाला जल अमरपुर नदी में जाकर मिलता है जो इस क्षेत्र की प्रमुख सुरही नदी की सहायक नदी है। वर्षा काल में ठाड़पानी जलप्रपात का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है। साजा, बीजा, हर्रा, बहेरा, सलिहा, मोन्दे, सागौन, चार, तेंदू आदि पेड़ों से आच्छादित यह जंगल मन को असीम शांति प्रदान करता है।
पर्यटन की अनेक संभावनाएं
ठाड़पानी में अब पर्यटक आने लगे हैं। यदि शासन -प्रशासन द्वारा यहां पर्यटन की सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सीढ़ी आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है तो यह जिले का ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्यटन केन्द्र बनेगा। इस क्षेत्र में पर्यटन की अनेक संभावनाएं दिखती हैं। कुआँ धांस, धाँस और ठाड़पानी जलप्रपात तीनों आसपास ही स्थित हैं। गंडई के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पीसी लाल यादव ने बताया कि क्षेत्र में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जिन्हें सहेजने की जरूरत है। इन स्थलों से नए जिले को विशेष पहचान मिलेगी। पर्यटन का दायरा बढ़ने से क्षेत्र का विकास होता है। डॉ यादव ने बताया कि ठाड़पानी जलप्रपात गंडई से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। 100 फीट से पानी गिरता है। यह दृश्य काफी मनोरम लगता है। पर्यटक यहां आने लगे हैं। शासन को इसे संवारने के लिए पहल करनी चाहिए। लोग यहां आराम से बैठ सकें, परिवार के साथ पिकनिक मना सकें। ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। इधर ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से इन स्थलों को संवारने की मांग उठाते आएं हैं। कुछ दिनों पूर्व कलक्टर की ओर से भी क्षेत्र के पर्यटन स्थलों की जानकारी भी मंगाई गई थी। हालांकि आचार संहिता के चलते काम शुरू नहीं हो पाए। इस स्थल को भी बनाए गए प्रोजेक्ट में शामिल करने की मांग क्षेत्र के रहवासी करते हैं ताकि यह बेहतर हो सके।