छत्तीसगढ़राजनांदगांव जिला

राजनांदगांव: जिले में अब तक 750 क्ंिवटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन जिले में जैविक खादों का उपयोग बढ़ा

वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन की उन्नत तकनीक के लिए कृषक समूहों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

राजनांदगांव 28 नवम्बर। एक्सटेंशन रिफॉम्र्स आत्मा योजना अंतर्गत जिले के सभी  विकासखंड के गठन ग्रामों में कृषक समूहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें वर्मी कंपोस्ट उत्पादन की उन्नत तकनीकों से कृषक समूह को रूबरू कराया जा रहा है। जिन गौठान के वर्मी टांका में केंचुआ नहीं है महिला कृषक समूह को केंचुआ भी प्रदान किया जा रहा है। अब तक जिले में लगभग 750 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन किया जा चुका है, जिसका का विक्रय सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से किया जा रहा है। जिसका सीधा लाभ कृषक एवं महिला समूह को मिल रहा है। विभागीय योजनाओं अंतर्गत किए जा रहे प्रदर्शन में समूह द्वारा उत्पादित वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग किया जा रहा है। आत्मा योजना अंतर्गत 668 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट विभाग के फसल प्रदर्शन कार्यक्रम में उपयोग किया जा रहा है।

कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा के मार्गदर्शन में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए स्वसहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उप संचालक कृषि श्री जीएस धुर्वे द्वारा टीम का गठन किया गया है। टीम में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, एटीएम, बीटीएम आदि गौठान में जाकर महिला समूह को प्रशिक्षित कर रहे हैं एवं तकनीकी जानकारी प्रदान कर रहे हैं। गौठान में मल्टी एक्टिविटी को बढ़ावा देने हेतु समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषक वर्मी कंपोस्ट उत्पादन के साथ-साथ वर्मी वाश भी तैयार कर रहे हैं। जैविक कीटनाशकों का निर्माण, बीज उपचार का भी निर्माण समूह के माध्यम से किया जा रहा है। विकासखंडों में कृषि समूह  एवं खाद्य सुरक्षा समूह तैयार किया जा रहा है साथ ही मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए किसानों को रबी फसल की बुवाई, बीज उपचार तथा खरीफ फसल की कटाई संबंधित सावधानियों के संबंध में किसानों को सलाह दी जा रही है। उप संचालक कृषि द्वारा किसानों को फसल कटाई के उपरांत रबी फसलों की तैयारी के संबंध में उन्नत बीज के उपयोग, कतार विधि, बीज उपचार फसल अवशेष प्रबंधन, वेस्ट डी कंपोजर के उपयोग की जानकारी दी जा रही है। कृषि विभाग द्वारा कृषकों से निरंतर अपील की जा रही है कि पैरा दान करें, पराली को ना जलाएं और वेस्ट डी कंपोजर का उपयोग कर फसल अवशेष का प्रबंधन करें। जिले में जैविक खादों का उपयोग विशेषकर गौठान से उत्पादन होने वाले वर्मी कंपोस्ट का उपयोग बढ़ा है, जिससे किसान आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। किसानों को अधिक जानकारी के लिए क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों से संपर्क करने की सलाह भी दी जा रही है।

advertisement
advertisement
advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button