रीढ़ की हड्डी में था फैक्चर, नसें दब रहीं थीं, डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बचाई युवक की जान
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में क्रिटिकल केस भी हैंडल किए जा रहे हैं। गंभीर मरीजों को रेफर की पर्ची नहीं थमाई जा रही बल्कि डॉक्टरों की टीम सेवा भावना के साथ ऐसे मरीजों के इलाज करने में पीछे नहीं है। यहां के आर्थो डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने पहली बार रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन किया। पेड़ से गिरे एक युवक की रीढ़ की हड्डी में फैक्चर हो गया था। इस वजह से नसें भी दबने लगी थी।
युवक 22 दिनों से दर्द से परेशान था। बिस्तर से उठ नहीं पा रहा था। डॉक्टरों का कहना है कि नसें दबने से युवक कमजोर हो गया था। तत्काल ऑपरेशन करना रिस्की था। आर्थो डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. राजेश डूलानी ने बताया कि डुमरडीहकला निवासी 24 वर्षीय नयनसुख पिता सेवाराम को परिजनों ने 6 जून को भर्ती कराया।
पहले कमजोरी दूर की गई फिर किया ऑपरेशन
परिजनों ने बताया कि युवक पेड़ में चढ़ा था कि अचानक नीचे गिर गया। इस वजह से रीढ़ की हड्डी में तकलीफ हो रही थी। सीटी स्कैन और डिजिटल एक्स-रे कराने पर पता चला कि रीढ़ की हड्डी में फैक्चर है और साइड की नसें दब रही है। इसलिए तकलीफ बढ़ गई है। 22 दिनों तक युवक दर्द से परेसान रहता था। इस संबंध में डॉ. डूलानी ने बताया कि युवक बेहद कमजोर हो गया था। जबड़ा भी नहीं खुल रहा था। इसलिए मेडिसिन देकर इलाज कर रहे थे फिर 1 जुलाई को ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। आर्थो डिपार्ट में पहली बार ऐसा ऑपरेशन किया गया। इसका बाहर इलाज कराने में लाखों रुपए खर्च होते।
स्पेस को भरने के लिए सर्जिकल रॉड लगाया गया
बताया कि ऑपरेशन में ढाई घंटे लग गए। पेड़ से गिरे एक युवक की रीढ़ की हड्डी में फैक्चर हो गया था। इस वजह से नसें भी दबने लगी थी। ऑपरेशन रिस्की था, क्योंकि नसों को खोलना था। भीतर सर्जिकल रॉड भी डाली गई ताकि जो स्पेस है उसे भरा जा सके। डॉ. डूलानी ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा।
युवक की हालत पहले से बेहतर है। वह अब स्वाथ्य लाभ ले रहा है। अब दर्द भी नहीं हो रहा है। इससे उससे काफी राहत मिली है। इस ऑपरेशन में डॉ. सुभाष रावटे, दीपक धृतलहरे, डॉ. इती खत्री, डॉ. रागिनी, डॉ. गिरिजा, नर्सेस यामेश्वरी साहू, नेहा ठाकुर, वार्ड ब्वॉय अजय सिन्हा, राहुल ने भूमिका निभाई।