देश
गोला-बारूद खत्म हो गए …फिर भी लड़ते रहे कैप्टन
पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार के हनीफ बचपन से ही होनहार थे। 7 साल की उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ गया, पर मां हेमा अजीज ने कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। दिल्ली के शिवाजी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई के दौरान अपनी बहुआयामी प्रतिभा के कारण हनीफुद्दीन ने मिस्टर शिवाजी का खिताब अपने नाम किया। 7 जून 1997 को भारतीय सेना में कमीशन हासिल किया और इसके ठीक 2 साल बाद 7 जून 1999 को कारगिल के तुरतुक सेक्टर में वीर शिवाजी की ही भांति दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए।