जिस वार्ड में स्कूल, वहीं के बच्चे एडमिशन से वंचित, 3 से 4 किमी दूरी वालों को मिली सीट
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत की गई लॉटरी की प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। जिस वार्ड में स्कूल हैं, वहां के बच्चों का चयन करने की बजाय 3 से 4 किलोमीटर दूरी पर रहने वाले बच्चों को सीटें आवंटित कर दी गई है। इसे लेकर पालकों की ओर से की जा रही आपत्ति के बाद भी कोई सुधार नहीं किया जा रहा है। नोडल अफसरों ने स्कूल की दूरी की मैपिंग किए बगैर आवेदनों को सत्यापित कर दिया। कुछ निजी स्कूल तो क्षेत्र के पार्षद और सरपंचों को पत्र लिखकर वेरीफिकेशन कर रहे हैं कि संबंधित छात्र वार्ड या गांव का रहवासी है या नहीं?
यहां तक नोडल अफसरों ने बंद स्कूलों के नाम से आए आवेदनों को सत्यापित कर लॉटरी में शामिल कर दिया। पालक अब बच्चों के एडमिशन को लेकर चक्कर लगा रहे हैं। जिले में लगभग 300 निजी स्कूलों की ओर से इस शिक्षा सत्र में आरटीई के तहत 4 हजार सीटें आरक्षित की गई हैं। स्कूलों की ओर से पोर्टल में दी गई सीटों की जानकारी के हिसाब से 36 सौ पालकों ने आवेदन किया।
2197 सीटों का आवंटन
डीपीआई की ओर से पहली लॉटरी के नाम पर 2197 बच्चों का चयन करने के साथ ही सीटें आवंटित कर दी। वहीं 524 आवेदनों को दस्तावेजों की कमी बताकर रिजेक्ट किया गया। वहीं अन्य सत्यापित आवेदनों को वेटिंग में डाल दिया है। नोडल अफसरों की ओर से आवेदनों के सत्यापन के दौरान मैपिंग ही नहीं की।
सत्यापन में ही लापरवाही
शिकायतें सामने आ रही हैं कि नोडल अफसरों ने आवेदनों के सत्यापन में लापरवाही की। इसका खामियाजा उन बच्चों को भुगतना पड़ रहा है जो कि लॉटरी में हिस्सा तो लिए थे पर उन्हें अपात्र कर दिया गया। पालकों का कहना है कि पूरे दस्तावेज देने के बाद भी पात्रता की सूची में शामिल नहीं किया गया।
केस 1. नोडल अफसर ने सीटें डिलीट नहीं की
कन्हारपुरी क्षेत्र के एक बंद हो चुके स्कूल को पोर्टल में शामिल कर लिया गया था। नोडल अफसर ने सीटें डिलीट नहीं की। दर्जनभर पालकों ने आवेदन कर दिया। लॉटरी में 6 से 7 बच्चों का उक्त स्कूल के नाम से सीटें आबंटित कर दी गई। पालक जब स्कूल पहुंचे तो पता चला कि यहां तो ताला लटक रहा है। पालकों ने डीईओ कार्यालय में संपर्क कर शिकायत की तो दूसरे स्कूल में एडमिशन कराना छोड़कर दूसरी लॉटरी का इंतजार करने कहा दिया गया है।
केस 2. 1 किमी की दूरी का पालन तक नहीं किया गया
पार्रीकला गांव के कुछ पालकों ने समीप में स्थित युगांतर स्कूल के नाम से आवेदन किया था। इन आवेदनों को लॉटरी में भी शामिल कर दिया गया। हैरत की बात यह है कि गांव के बच्चों का चयन नहीं हुआ बल्कि लखोली क्षेत्र के बच्चों को यहां एडमिशन दे दिया गया है। स्कूल प्रबंधन की ओर से पंचायत में पत्र लिखकर पूछा गया है कि बच्चे गांव के हैं या नहीं? इस तरह 1 किमी की दूरी का पालन तक नहीं किया गया है।
केस 3. सरकारी स्कूल में बच्चों को भर्ती कराया
तुलसीपुर निवासी रमेश रजवाड़े, सुनील रामटेके ने बताया कि निवास स्थान से 1 किलोमीटर की दूरी वाले स्कूल के नाम से आवेदन किए थे पर नाम ही नहीं आया। डीईओ दफ्तर में संपर्क करने पर दूसरी लॉटरी का इंतजार करने कहा जा रहा है जबकि स्कूलों में तो पढ़ाई शुरू हो गई है। इन पालकों ने अब लॉटरी का इंतजार करने की बजाय सरकारी स्कूल में बच्चों को भर्ती कराया है।
लॉटरी डीपीआई से हुई है
डीईओ एचआर सोम ने बताया कि नोडल अफसरों ने गंभीरता से सत्यापन करने कहा गया था। लॉटरी डीपीआई से हुई है। जो भी समस्याएं हैं, उसे दूर करेंगे। नोडल अफसरों को वेरीफिकेशन करने कहा जाएगा।