दो माह बाद अब बनी जांच कमेटी पार्षद और अफसर खंगालेंगे सच
बूढ़ा सागर में सौंदर्यीकरण के नाम पर हुई कथित गड़बड़ी की जांच के लिए समिति बना ली गई है। इसमें निगम प्रशासन के तकनीकी अफसरों सहित पक्ष और विपक्ष के पार्षद भी शामिल हैं। जो पूरे मामले की जांच के बाद सच्चाई को उजागर करेंगे। बूढ़ा सागर में साढ़े 16 करोड़ रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू किया गया है। आरोप है कि इसमें ठेकेदार को अब तक 15 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है। जबकि सौंदर्यीकरण का काम 50 फीसदी ही पूरा हो सका है।
वर्तमान में सौंदर्यीकरण का काम भी बंद पड़ा हुआ है। 7 जुलाई को निगम में बजट सभा का आयोजन किया गया था। जिसमें विपक्ष ने बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण में जमकर भ्रष्टाचार और गड़बड़ी का आरोप लगाया था, तब महापौर ने भी इसमें गड़बड़ी की आशंका जाहिर की और पूरे मामले की जांच की बात कही। सदन में पक्ष विपक्ष की एक राय के बाद जांच की सहमति बनी और महापौर हेमा देशमुख ने जांच कमेटी बनाने का दावा किया। इसके दो माह बाद आयुक्त डॉ आशुतोष चतुर्वेदी ने सौंदर्यीकरण के नाम पर हुई कथित गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की जांच के लिए टीम बना दी है।
जांच कमेटी में ये शामिल
आयुक्त द्वारा बनाई जांच समिति में नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु, एमआईसी मेंबर मधुकर वंजारी, सतीश मसीह, विनय झा के अलावा नेता प्रतिपक्ष द्वारा नामित दो पार्षद को लिया गया है। तकनीकी अफसरों में ईई यूके रामटेके, सहायक अभियंता दीपक अग्रवाल, संदीप तिवारी को नामित किया गया है। जांच कर प्रतिवेदन एमआईसी के समक्ष रखेंगे।
भुगतान के चलते आशंका
दरअसल बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है। निगम सूत्रों और विपक्ष के आरोपों की माने तो संबंधित ठेकेदार को 15 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। जबकि काम अब भी अधूरा है। गड़बड़ी की आशंका यही से सामने आई है। जब काम पूरा ही नहीं हुआ है तो ठेकेदार को किस आधार पर राशि का भुगतान किया गया है।
मनमानी और अनदेखी
बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण में भ्रष्टाचार की जांच शुरु भी नहीं हो सकी है कि रानी सागर में चल रहे काम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल रानी सागर में भी बने दीवारों को दुरुस्त किया जा रहा है। कुछ हिस्सों में दीवार को तोड़कर नए सिरे से बना रहे हंै। इधर सवाल उठ रहे हैं। निगम की तकनीकी टीम इस कार्य में भी गड़बड़ी की आशंका की जांच करेगी।
पहले भी हो चुकी जांच
बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण का काम पूर्व महापौर मधुसूदन यादव के कार्यकाल में शुरु हुआ है। तब भी विपक्ष ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, तब यादव ने खुद जांच के लिए सहमति दी व कलेक्टर ने जांच टीम बनाई थी। औपचारिकता भी पूरी हुई। गड़बड़ी का खुलासा नहीं हुआ था। दोबारा जांच होगी।