राजनांदगांव : कला, साहित्य एवं संस्कृति हमारी अमूल्य धरोहर है, इसे अक्ष्क्षुण बनाए रखें: चंद्रेश ठाकुर
सुदूर वनांचल के ग्रामों में किया गया रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
राजनांदगांव, /गोंडवाना समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष श्री चंद्रेश ठाकुर ने कला, साहित्य और संस्कृति को हमारी अमूल्य धरोहर बताते हुए इसे अक्ष्क्षुण बनाए रखे जाने की आवश्यकता बताई। श्री चंद्रेश ठाकुर ने यह विचार सोमवार 5 नवंबर को दीपोत्सव के पावन संध्या पर मोहला विकासखण्ड के सुदूर वंनाचल स्थित ग्राम मुरेर एवं हिड़कोटोला में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में व्यक्त किया। श्री ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि कला, साहित्य एवं संस्कृति में किसी भी जीवंत एवं गतिशील समाज का समूचा प्रतिबिंब दिखाई देता है। इस अवसर पर वनांचल के होनहार कलाकारों एवं नन्हें-मुन्हें बच्चों ने अपने उत्कृष्ट और नयनाभिराम सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम पंचायत मार्री की सरपंच श्रीमती गैंदकुंवर ठाकुर ने की। इस अवसर पर ग्राम पंचायत मंडावीटोला के सरपंच श्री मनोहर मंडावी, मार्री के उप सरपंच श्री जगन्नाथ चुरेन्द्र, श्री लखन सोरी, श्री बंशीलाल ठाकुर, श्री नवलदास साहू, ग्राम पटेल श्री राजाराम हिड़को, श्री थानुराम नुरेटी, श्री लतखोर नुरेटी, श्री रमेश कोर्राम, श्री मन्नेसिंह मंडावी, श्री अरविंद गोटे, श्री अमर पुरामे, श्री सुरेन्द्र कोर्राम, श्री सुखलाल नुरेसिया, श्री रेशम नुरेटी, श्री अशोक नुरेटी, श्री हेमलाल नेताम सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि श्री ठाकुर ने वनांचल के ग्रामों में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सामान्य ज्ञान स्पर्धा की सराहना की। उन्होंने ग्राम, समाज और राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षा एवं एक दुसरे का परस्पर सहयोग को आवश्यक बताया। वहीं मद्यपान और अन्य दुर्व्यसनों व कुरीतियों के परित्याग की अपील भी की। इस अवसर पर उन्होंने सभी लोगों को शिक्षित करने और जरुरतमंदों का मदद करने जैसे श्रेष्ठ कार्य और परंपरा भी विकसित करने की सलाह दी। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि श्री लखन सोरी ने शिक्षा को समाज और राष्ट्र के विकास के लिए ब्रह्मास्त्र बताया। उन्होंने सभी लोगों को शिक्षित करने तथा जरुरतमंदों के मदद के लिए प्रण लेने की अपील की। कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री आरके रामटेके, रामा हिड़काम, तुलसीराम पुरामे, काशीराम बोगा, बंशीराम मंडावी, श्रीमती हरिश लता, श्री संतोष कोरेटी, श्री प्रीतम पौषार्य, श्री धनवाराम कुंजाम, श्री राजू गोटा, श्री मिलन पोरेटी एवं श्री राकेश कोमरे की विशेष भूमिका रही।