झीरम घाटी हत्याकांड की जांच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की एजेंसी स्वतंत्र
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने झीरम घाटी हत्याकांड की जांच को लेकर दायर एनआइए की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार अब अपनी एजेंसी से जांच कराने के लिए स्वतंत्र है। राज्य शासन को कोर्ट के फैसले से राहत मिलेगी।
कांग्रेस नेता उदय मुुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में एफआइआर दर्ज कराया था। इसमें उन्होंने मांग की थी कि झीरम घाटी हत्याकांड में आपराधिक और राजनीतिक षड़यंत्र की आशंका की भी जांच होनी चाहिए। साथ ही राज्य सरकार की स्वतंत्री जांच एजेंसी से पूरे मामले की जांच की मांग की थी। जितेंद्र द्वारा दरभा थाने में दर्ज कराई गई एफआइआर को एनआइए ने जगदलपुर के विशेष अदालत में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद विशेष अदालत ने एनआइए की याचिका को खारिज कर दिया था।
एनआइए ने अपनी याचिका में कहा था कि झीरम घाटी हत्याकांड की एनआइए जांच कर रही है। किसी अन्य एजेंसी द्वारा जांच पड़ताल से जांच की दिशा भटक सकती है और यह अनावश्यक हस्तक्षेप भी माना जाएगा। विशेष अदालत के फैसले को एनआइए ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को हाई कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एनआइए की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के फैसले से राज्य शासन को राहत मिली है। राज्य शासन अब झीरम घाटी हत्याकांड की अपनी एजेंसी के माध्यम से जांच कराने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र हो गई है।
जितेंद्र ने की थी ये मांग
जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाना में एफआइआर दर्ज कराने के साथ ही जांच के लिए निर्धारित बिंदुओं में आपराधिक और राजीनीतिक षड़यंत्र की आशंका को भी जोड़ने की मांग की थी। साथ ही हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पूरे मामले की राज्य सरकार की स्वतंत्र एजेंसी के जरिए जांच की गुहार लगाई थी। जितेंद्र ने अपनी याचिका में हत्याकांड के पीछे राजनीतिक और आपराधिक षड़यंत्र की आशंका भी जाहिर की है। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं को जांच में शामिल नहीं करने का आरोप लगाया था।
एनआइए ने कहा जांच में सक्षम
एनआइए ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि वह हत्याकांड की जांच करने में सक्षम है। जब सक्षम एजेंसी जांच कर रही है तो जिला पुलिस बल को जांच के लिए मामला क्यों दिया जा रहा है। इससे जांच की दिशा भटकेगी और जांच भी प्रभावित होगी।