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कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में विधायकों के कमजोर प्रदर्शन ने सत्ता और संगठन की चिंता बढ़ा दी, 34 विधायकों का प्रदर्शन कमजोर

 Raipur-विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले कांग्रेस के आंतरिक सर्वे में विधायकों के कमजोर प्रदर्शन ने सत्ता और संगठन की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस ने विधायकों के प्रदर्शन, क्षेत्र में सक्रियता, कार्यकर्ताओं से मुलाकात, सत्ता और संगठन में तालमेल सहित अन्य मुद्दों को लेकर एक आंतरिक सर्वे कराया है। पार्टी के उच्च पदस्‍थ सूत्रों की मानें तो आंतरिक सर्वे में 70 में से 34 विधायकों की स्थिति को काफी चिंताजनक पाया गया है। इसमें 90 फीसद विधायक पहली बार चुने गए हैं भाजपा के खिलाफ चली सत्ता विरोधी लहर और कांग्रेस संगठन की मजबूती के कारण जीत दर्ज किए थे। लेकिन विधायक चुने जाने के बाद ये न तो कार्यकर्ताओं के बीच अपनी पैठ बना पाए, न ही क्षेत्र के विकास की योजनाओं को अमलीजामा ही पहनाने में सक्रिय रहे। प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। सर्वे में इन आदिवासी बाहुल विधानसभा सीट को लेकर अलर्ट भी किया गया है।

विधायकों की परफार्मेंस रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चार मई से शुरू होने वाले विधानसभा क्षेत्र के दौरे में पहले सरगुजा, फिर बस्तर की सीट पर जाएंगे। मुख्यमंत्री बघेल को उम्मीद है कि चुनाव में अभी डेढ़ साल का समय बचा है। ऐसे में विधायक अगर अभी से सचेत हो जाएंगे, तो पार्टी को बड़ा नुकसान नहीं हो पाएगा।मीडिया से चर्चा में मुख्यमंत्री बघेल ने साफ कहा कि अभी समय रहते सुधार किया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान को कांग्रेस सरकार की चिंता के रूप में देखा जा रहा है। देश में सिर्फ छत्तीसगढ़ है, जहां कांग्रेस की मजबूत सरकार है। ऐसे में मिशन 2023 में एक बार फिर सत्ता वापसी के लिए सत्ता और संगठन के नेता जमीन स्तर पर पसीना बहाने के लिए उतर रहे हैं।

कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो बस्तर संभाग में आदिवासियों की नाराजगी को कम करने की दिशा में विधायकों का काम बेहतर नहीं माना गया है। बस्तर के अलग-अलग क्षेत्र में करीब दस जगह आंदोलन चल रहा है। जल, जंगल जमीन को लेकर सरकार की योजनाओं को भी जमीन स्तर पर लागू करवाने में विधायक सक्रिय नहीं हैं।सरगुजा में कांग्रेस संगठन और विधायकों के बीच आंतरिक कलह के कारण दिक्कत बढ़ी है। विधायकों पर संगठन के पदाधिकारी अनदेखी का आरोप लगातार लगा रहे हैं। कई विधायकों ने मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस अकेले सरगुजा में कांग्रेस तीन गुटों में बंट गई है। मंत्रियों के गुट बनने के बाद संगठन ने भी अपनी उपस्थिति के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

दुर्ग और रायपुर संभाग में पहली बार के विधायक कमजोर स्थिति में है। दुर्ग संभाग में एक विधायक पूरी तरह निष्क्रिय हैं। क्षेत्र में उपस्थिति कम होने के कारण स्थानीय स्तर पर नाराजगी है। सामाजिक रूप में कुछ वर्ग का सही प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण भी नाराजगी है। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों के बीच हर महीने समन्वय की बैठक होगी। इसमें जो कमियां सामने आएंगी, उसे दूर किया जाएगा।

मंत्री सिंहदेव भी करेंगे प्रदेश का दौरा संभाग और जिला स्तर पर दौरा करने की तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि सिंहदेव अपने विभाग के अधिकारियों के साथ कामकाज की समीक्षा करेंगे। जमीनी हकीकत की पड़ताल करने के लिए मैदान में भी उतरेंगे। इसके लिए सिंहदेव ने हेलीकाप्टर की मांग की है, जिससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों तक पहुंचा जा सके।

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