कब हुआ था पिछला चुनाव– पिछली बार 17 जुलाई को एकसाथ पूरे देश में चुनाव हुआ था और 20 जुलाई को मतगणना
राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा-राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है।
चुनाव आयोग आज राष्ट्रपति चुनाव का एलान कर सकता है। दोपहर तीन बजे इसे लेकर आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। 25 जुलाई से पहले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
चुनाव की ये प्रक्रिया कब तक पूरी होगी? राष्ट्रपति चुनाव आम चुनाव से कितना अलग होता है? कौन राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है? इस चुनाव में कौन वोट डाल सकता है? क्या अलग-अलग वोटर के वोट की वैल्यू भी अलग-अलग होती है? वोट की वैल्यू तय कैसे होती है? आइए जानते हैं…
कब तक पूरी होगी चुनाव की प्रक्रिया?
चुनाव आयोग आज चुनावों का एलान कर सकता है। चुनाव के एलान के एक हफ्ते के भीतर अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके साथ की नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। नामांकन के लिए करीब दो हफ्ते का वक्त मिलेगा। नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के अगले दिन नामांकन प्रत्रों की जांच होगी। इसके बाद दो से तीन दिन का वक्त नाम वापसी के लिए मिलेगा।
जरूरत होने पर 15 जुलाई के आसपास मतदान होगा। मतदान के दो या तीन दिन बाद नतीजे आ जाएंगे। उम्मीद है कि ये पूरी प्रक्रिया 20 जुलाई तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे।
25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं नए राष्ट्रपति?
हर पांच साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रति मिलता है। ये सिलसिला 1977 से चल रहा है। जब उस वक्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया।
राष्ट्रपति के निधन के बाद उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति बने। इसके बाद से ही हर पांच साल पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति चुने जाते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट कौन डालता है?
राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स होंगे?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 12 मनोनीत सांसद इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। इसके साथ ही लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे।
इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 120 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 896 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी।
राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।
बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।
किस राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू कितनी है?
राज्य | सदस्यों की संख्या | एक सदस्य के वोट की वैल्यू | सभी सदस्यों के वोट की वैल्यू |
आंध्र प्रदेश | 175 | 159 | 27825 |
अरुणाचल प्रदेश | 60 | 08 | 480 |
असम | 126 | 116 | 14616 |
बिहार | 243 | 173 | 42039 |
छत्तीसगढ़ | 90 | 129 | 11610 |
गोवा | 40 | 20 | 800 |
गुजरात | 182 | 147 | 26754 |
हरियाणा | 90 | 112 | 10080 |
हिमाचल प्रदेश | 68 | 51 | 3468 |
जम्मू कश्मीर* | 87 | 72 | 6264 |
झारखंड | 81 | 176 | 14256 |
कर्नाटक | 224 | 131 | 29344 |
केरल | 140 | 152 | 21280 |
मध्य प्रदेश | 230 | 131 | 30130 |
महाराष्ट्र | 288 | 175 | 50400 |
मणिपुर | 60 | 18 | 1080 |
मेघालय | 60 | 17 | 1020 |
मिजोरम | 40 | 08 | 320 |
नगालैंड | 60 | 09 | 540 |
ओडिशा | 147 | 149 | 21903 |
पंजाब | 117 | 116 | 13572 |
राजस्थान | 200 | 129 | 25800 |
सिक्किम | 32 | 07 | 224 |
तमिलनाडु | 234 | 176 | 41184 |
तेलंगाना | 119 | 132 | 15708 |
त्रिपुरा | 60 | 26 | 1560 |
उत्तराखंड | 70 | 64 | 4480 |
उत्तर प्रदेश | 403 | 208 | 83824 |
पश्चिम बंगाल | 294 | 151 | 44394 |
दिल्ली | 70 | 58 | 4060 |
पुडुचेरी | 30 | 16 | 480 |
कुल | 4120 | ———— | 549495 |
* जम्मू कश्मीर की विधानसभा अभी भंग है।
सांसदों के वोट की क्या होगी वैल्यू?
राज्यसभा के 245 में से 233 सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। लोकसभा में 543 सांसद वोट डालते हैं। राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 708 होती है। दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है। इस लिहाज से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,49,408 होती है। अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 98 हजार 903 हो जाती है। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में इतने वैल्यू वाले वोट पड़ेंगे।
एक वोट की कीमत अलग-अलग क्यों होती है?
- हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग है। इस चुनाव में हर एक वोट की कीमत राज्य की जनसंख्या और वहां की कुल विधानसभा सीटों के हिसाब से तय होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में जनता की नुमाइंदगी करे।
- वोटों की ये वैल्यू मौजूदा या आखिरी जनगणना की जनसंख्या के आधार पर तय नहीं होती है। इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में जनगणना का आधार 2026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदलेगा। यानी, 2031 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद 1971 की जगह 2031 की जनगणना के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोट की वैल्यू तय होगी।
- अब बात विधायक और सांसद के वोट का मूल्य की। दोनों के मूल्य तय करने का तरीका अलग-अलग है। विधायक के वोट का मूल्य एक साधारण सूत्र से तय होता है। सबसे पहले उस राज्य की 1971 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या को लेते हैं। इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को सौ से गुणा करते हैं। गुणा करने पर जो संख्या मिलती है उससे कुल जनसंख्या को भाग दे देते हैं। इसका नतीजा जो आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है।
- इसे एक उदाहण से समझ सकते हैं। जैसे 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 8,38,49,905 थी। राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलता है। अब हम 8,38,49,905 को 403000 से भाग देते हैं तो हमें 208.06 जवाब मिलता है। वोट दशमलव में नहीं हो सकता इस तरह उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है।
- अब बात सांसदों के वोट की कीमत की करते हैं। सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी विधायकों के वोट की कीमत को जोड़ लिया जाता है। जोड़ने पर जो संख्या आती है उसे राज्यसभा और लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या से भाग दे देते हैं। वही एक सांसद के वोट की कीमत होती है। जैसे उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधायकों के वोट की कुल कीमत 208*403 यानी 83,824 है।
- इसी तरह देशभर के सभी विधायकों के वोट की कीमत का जोड़ 549,495 है। राज्यसभा के 233 और लोकसभा के 543 सासंदों का जोड़ 776 है। अब 549495 को 776 से भाग देने पर हमें 708.11 मिलता है। इस पूर्णांक में 708 लिया जाता है। इस तरह एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है। विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर ‘इलेक्टोरल कॉलेज’कहा जाता है। यह संख्या 10,98,903 होती है।
क्या पार्टियां इस चुनाव के लिए भी व्हिप जारी करती हैं?
व्हिप एक तरह आदेश होता है तो पार्टियां अपने सांसदों और विधायकों को जारी करती हैं। व्हिप का उल्लंघन करने पर संबंधित सांसद या विधायक की सदस्यता भी चली जाती है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं। सांसद और विधायक इस चुनाव में वरीयता के आधार पर वोट करते हैं। यानी, जो आपका पसंद का उम्मीदवार है उसे पहली वरीयता देनी होती है। यानी, उसके नाम के आगे एक लिखना होता है। दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के नाम के आगे दो नंबर लिखना होता है। सबसे पहले पहली वरीयता वाले वोट गिने जाते हैं। अगर पहली वरीयता में उम्मीदवार को पचास फीसदी से ज्यादा मूल्य के वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता के वोटों की गनती होती है।
कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।
कोटे का निर्धारण कैसे होता है?
राष्ट्रपति चुनाव के कुल मतदाताओं के वोटों के मूल्य को दो से भाग देकर उसमें एक जोड़ा जाता है. इसी से जीत के लिए कोटा तय होता है.
इतनी आसान भी नहीं है मतगणना प्रक्रिया
राष्ट्रपति चुनाव में हर मतदाता एक ही वोट देता है. वो हर उम्मीदवार को लेकर अपनी प्राथमिकता बता सकता है. हर वोट की गिनती के लिए कम से कम एक उम्मीदवार के नाम का समर्थन जरूरी होता है. किसी भी प्रत्याशी को जीतने के लिए तयशुदा कोटे के वोट हासिल करने होते हैं. अगर पहले दौर में कोई नहीं जीतता, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को चुनाव मैदान से बाहर कर दिया जाता है.
फिर उसके हिस्से के वोट, दूसरी प्राथमिकता वाले प्रत्याशी के खाते में डाल दिए जाते हैं. इसके बाद भी कोई नहीं जीतता, तो यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक कोई उम्मीदवार जीत के लिए तय कोटे के बराबर वोट हासिल नहीं कर लेता या एक-एक कर के सारे उम्मीदवार मुकाबले से बाहर हो जाएं और सिर्फ एक प्रत्याशी बचे.
कब कितना था सांसदों के मत का मूल्य
साल 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से एक सांसद के मत का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है. साल 1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक सांसद के मत का मूल्य 494 था, जो साल 1957 के राष्ट्रपति चुनाव में मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया. इसके बाद साल 1962 में यह 493 और साल 1967 व 1969 में 576 रहा. बता दें कि तीन मई 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के कारण साल 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था. इसके बाद साल 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 723 निर्धारित किया गया था, जबकि साल 1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए एक सांसद के मत का मूल्य 702 हो गया.
एक विधायक के वोट की कीमत का निर्धारण
1971 में विधायक के राज्य की आबादी/राज्य के विधायकों की संख्या गुणा 1000 से होता है.
एक सांसद के वोट की कीमत का निर्धारण-
राज्य के विधायकों के वोटों का मूल्य/776 (सांसदों की संख्या) से होता है.